गीत प्रेम के गाता है हर दम
जाने क्यों आँखें रहती नम नम
नाच मयूरी हो पागल
अम्बर पे छाए बादल
बरसो मेघा रे पल पल
बारिश की बूँदें करतीं छम
छम
जाने क्यों आँखें ...
सबके अपने अपने गम
कुछ के ज्यादा कुछ के कम
सह लेता है जिसमें दम
सुन आँसूं पलकों के पीछे थम
जाने क्यों आँखें ...
जाने क्यों आँखें ...
हिस्से में उतना सुख दुःख
जीवन का जैसा है रुख
फिर भी सब कहते हैं सुख
उनके हिस्से है आया कम कम
जाने क्यों आँखें ...