ये माना साथ निभाना हमें नहीं आता
किसी को छोड़ के जाना हमें नहीं आता
वो जिसकी जेब में खंजर ज़ुबान पर मिश्री
उसी से हाथ मिलाना हमें नहीं आता
मिलेगी हमको जो किस्मत में लिखी है शोहरत
किसी के ख्वाब चुराना हमें नहीं आता
हुनर है दर्द से खुशियों को खींच लाने का
विरह के गीत सुनाना हमें नहीं आता
खुदा का शुक्र है इन बाजुओं में जुंबिश है
निवाला छीन के खाना हमें नहीं आता
इसे ग़ज़ल न कहो है फकत ये तुकबंदी
गज़ल के शेर बनाना हमें नहीं आता
किसी को छोड़ के जाना हमें नहीं आता
वो जिसकी जेब में खंजर ज़ुबान पर मिश्री
उसी से हाथ मिलाना हमें नहीं आता
मिलेगी हमको जो किस्मत में लिखी है शोहरत
किसी के ख्वाब चुराना हमें नहीं आता
हुनर है दर्द से खुशियों को खींच लाने का
विरह के गीत सुनाना हमें नहीं आता
खुदा का शुक्र है इन बाजुओं में जुंबिश है
निवाला छीन के खाना हमें नहीं आता
इसे ग़ज़ल न कहो है फकत ये तुकबंदी
गज़ल के शेर बनाना हमें नहीं आता
इसे ग़ज़ल न कहो है फकत ये तुकबंदी
जवाब देंहटाएंगज़ल के शेर बनाना हमें नहीं आता ... ये कहकर भी आपने बहुत खूबसूरत ग़ज़ल कह दी ... बधाई
बहुत शुक्रिया आपका ...
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