सब कहते हैं
भूलने की कोशिश करो
पर किसे … ?
यादों से बाहर निकलो,
पर किसकी ...?
खुश रहो
खुश तो हूं ... अब भी
तू तब भी साथ थी
अब भी साथ है
यादों में थी हमेशा
यादों में है
तब बातें करता था तुझसे
बातें अब भी करता हूं
हां ... अब ये नहीं मालुम
क्यों कम्बख्त आंसू
अपने आप निकल आते हैं
पर वो तो आँखों का कसूर है
न माँ ...