काठ के पुतलों में कितनी जान है
देख कर हर आइना हैरान है
कब तलक बाकी रहेगी क्या पता
रेत पर लिक्खी हुयी पहचान है
हर सितम पे होंसला बढ़ता गया
वक़्त का मुझपे बड़ा एहसान है
मैं चिरागों की तरह जलता रहा
क्या हुआ जो ये गली सुनसान है
उम्र भर रिश्ता निभाना है कठिन
छोड़ कर जाना बहुत आसान है
जुर्म का तो कुछ खुलासा है नहीं
पर सजा का हाथ में फरमान है
देख कर हर आइना हैरान है
कब तलक बाकी रहेगी क्या पता
रेत पर लिक्खी हुयी पहचान है
हर सितम पे होंसला बढ़ता गया
वक़्त का मुझपे बड़ा एहसान है
मैं चिरागों की तरह जलता रहा
क्या हुआ जो ये गली सुनसान है
उम्र भर रिश्ता निभाना है कठिन
छोड़ कर जाना बहुत आसान है
जुर्म का तो कुछ खुलासा है नहीं
पर सजा का हाथ में फरमान है