अब गुज़री तो तब गुज़री
धीरे धीरे सब गुज़री
तन्हाई में फिर कैसे
पूछो ना साहब गुज़री
मुद्दत तक रस्ता देखा
इस रस्ते तू अब गुज़री
दिन बीता तेरी खातिर
तेरी खातिर शब् गुज़री
महफ़िल महफ़िल घूम लिए
तन्हाई पर कब गुज़री
मोती तब ही चुन पाया
गहरे सागर जब गुज़री