याद नहीं तेरे होते
कभी ईश्वर से कुछ माँगा
हालांकि ऐसा नहीं
की ईश्वर में आस्था नहीं
पर तेरे आँचल का विस्तार
इतना ज्यादा था
की उसके बाहर जाने की
ज़रूरत नहीं पड़ी
सब कहते हैं
ईश्वर को तो किसी ने देखा
नहीं
माँ ईश्वर का रूप ही होती
ही
शायद पागल हैं
मुझसे पूछो
होती तो बस माँ ही है
जो जीते जी ईश्वर होती है
ओर जब नहीं होती
ईश्वर के नाम से होती है