स्वप्न मेरे: अगस्त 2023

बुधवार, 30 अगस्त 2023

रक्षाबंधन …

सभी भाईबहनों को रक्षा बंधन की बहुत बहुत शुभकामनाएँ, इस पवित्र बन्धन पर एक भाई की भावनाओं को इस ग़ज़ल के माध्यम से व्यक्त करने का एक प्रयास … 🌹🌹🌹

वजह पूछे बिना सम्बंध सारे तोड़ लेती है.

बहन रक्षा के हर बन्धन को दिल से जोड़ लेती है.


दबा लेती है सारे राज़ सच्चे दोस्तों जैसे,

वो अपना आईना भाई की ख़ातिर फोड़ लेती है.


कभी हो जाए जो फिर भाई से कोई प्रतिस्पर्धा,

बिना सोचे कदम अपने वो पीछे मोड़ लेती है.


बड़ी होगी बहन तो खींच लेगी कान भाई के,

मगर माँ बाप  जाएँ तो चुप्पी ओढ़ लेती है.


ख़ुराफ़ातें हो मस्ती-ऐश कारस्तानियाँ जितनी,

बहन छोटी है तो हर दुख में मिल कर दौड़ लेती है.

शनिवार, 26 अगस्त 2023

चन्द्रयान 3

जब से इसरो ने कहा चंदा तुम्हारा हो गया.
जान था अबतक मगर अब जाँ से प्यारा हो गया.

चाँद की नाज़ुक सतह पर पाँव विक्रम के पड़े,
बस वही पल इस सदी का इक नज़ारा हो गया.

तुम सनातन देवता महबूब मामा अब भी हो,
दक्षिणी ध्रुव पर तुम्हारा अब हमारा हो गया.

द्वन्द दुविधा लक्ष्य दुर्गम राह से परिचय नहीं,
किंतु इसरो का रचा इतिहास न्यारा हो गया.

एल. वि. एम. ले कर उड़ा प्रज्ञान, विक्रम यान को,
कम बजट, थी तीव्र बुद्धि, बस गुज़ारा हो गया.

कर दिया है काम वो वैज्ञानिकों ने देश के,
गाल पर एलीट के थप्पड़ करारा हो गया.

चन्द्रमा के बाद सूरज, शुक्र, मंगल यान अब,
पथ सकल ब्रह्माण्ड का सुखमय ही सारा हो गया.

कुछ कड़ी मेहनत सफलता लक्ष्य मंगल कामनाएँ,
हो नहीं पाया था जो पहले दुबारा हो गया.

शुक्रवार, 18 अगस्त 2023

आप सिक्का हैं महज़ यूँ ही उछलते रहिए ...

कोई बहलाए तो झूठे ही बहलते रहिए.
चाहे कुछ देर सही ख़ुद से ही छलते रहिए.

आप ढूँढेंगे तो छाया भी नज़र आएगी,
मोम का जिस्म लिए धूप में चलते रहिए.

चन्द छींटों से उठी झाग उतर जाती है,
शौक़ से अपने पतीलों में उबलते रहिए.

इंतहा ख़्वाब की देखेंगे पलक में रह कर,
आप आँसू की तरह आँख से ढलते रहिए.

भीड़ हर बार शिकंजे में चली आएगी,
झूठ का ज़ायक़ा हर बार बदलते रहिए.

हम तो बरसात की बूंदों से बिखर जाएंगे,
आपको आग लगानी है तो जलते रहिए.

पालना धर्म मेरा दंश है आदत उनकी,
आस्तीनों में छुपे सांप से पलते रहिए.

ये न सोचो के निकलने पे अंधेरा होगा
ज़िन्दगी भोर है सूरज-से निकलते रहिए

ये जो चित-पट है के अँटा ये उन्ही का सब है,
आप सिक्का हैं महज़ यूँ ही उछलते रहिए.
(तरही ग़ज़ल)

रविवार, 6 अगस्त 2023

किसी के दर्द का हिस्सा उठा लिया मैंने ...

धुआँ उठा तो तेरा अक्स पा लिया मैंने.
सिगार नाम का तेरे जला लिया मैंने.

मेरा यक़ीन है दिल तो किसी का टूटा है,
दिलों के खेल में जब दिल दिया-लिया मैंने.

खरोंच एक भी आने न पाई शीशे पर,
तमाम उम्र ये रिश्ता निभा लिया मैंने.

अधूरी बात को कर लेंगे ख़्वाब में पूरा,
अभी तो नींद का कम्बल चढ़ा लिया मैंने.

फिज़ां महकने लगी कायनात सुर्ख़ हुई,
ग़ज़ल के बीच तुझे गुनगुना लिया मैंने.

कभी रहा न मैं उस दिन के बाद से तनहा,
तुम्हारे साथ जो लम्हा बिता लिया मैंने.

ख़ुशी के जाम पिलाते पिलाते छुप-छुप कर,
किसी के दर्द का हिस्सा उठा लिया मैंने.