सभी भाई, बहनों को रक्षा बंधन की बहुत बहुत शुभकामनाएँ, इस पवित्र बन्धन पर एक भाई की भावनाओं को इस ग़ज़ल के माध्यम से व्यक्त करने का एक प्रयास … 🌹🌹🌹
वजह पूछे बिना सम्बंध सारे तोड़ लेती है.
बहन रक्षा के हर बन्धन को दिल से जोड़ लेती है.
दबा लेती है सारे राज़ सच्चे दोस्तों जैसे,
वो अपना आईना भाई की ख़ातिर फोड़ लेती है.
कभी हो जाए जो फिर भाई से कोई प्रतिस्पर्धा,
बिना सोचे कदम अपने वो पीछे मोड़ लेती है.
बड़ी होगी बहन तो खींच लेगी कान भाई के,
मगर माँ बाप आ जाएँ तो चुप्पी ओढ़ लेती है.
ख़ुराफ़ातें हो मस्ती-ऐश कारस्तानियाँ जितनी,
बहन छोटी है तो हर दुख में मिल कर दौड़ लेती है.