मंगलवार, 27 अक्तूबर 2020
सोमवार, 19 अक्तूबर 2020
मुझे तू ढूंढ कर मुझसे मिला दे ...
मुझे इक आईना ऐसा दिखा दे.
हकीकत जो मेरी मुझको बता दे.
नदी हूँ हद में रहना सीख लूंगी,
जुदा सागर से तू मुझको करा दे.
में गीली रेत का कच्चा घरोंदा,
कहो लहरों से अब मुझको मिटा दे.
बढ़ा के हाथ कोशिश कर रहा हूँ,
ज़रा सा आसमाँ नीचे झुका दे.
में तारा हूँ चमक बाकी रहेगी,
अंधेरों में मेरा तू घर बना दे.
महक फूलों की रोके ना रुकेगी,
भले ही लाख फिर पहरे बिठा दे.
में खुद से मिल नहीं पाया हूँ अब तक,
मुझे तू ढूंढ कर मुझसे मिला दे.
सोमवार, 12 अक्तूबर 2020
यूँ ही नज़रें गड़ाए रखिएगा
ज़ख्म अपने छुपाए रखिएगा
महफ़िलों को सजाए रखिएगा
दुश्मनी है ये मानता हूँ पर
सिलसिला तो बनाए रखिएगा
कुछ मुसाफिर ज़रूर लौटेंगे
एक दीपक जलाए रखिएगा
कल की पीड़ी यहाँ से गुजरेगी
आसमाँ तो उठाए रखिएगा
रूठ जाएँ ये उनकी है मर्ज़ी
आप पलकें बिछाए रखिएगा
काम आ जाएँ कब ये क्या जानें
आंसुओं को बचाए रखिएगा
शक्ल उनकी दिखेगी बादल में
यूँ ही नज़रें गड़ाए रखिएगा
सोमवार, 5 अक्तूबर 2020
उन बुज़ुर्गों को कभी दिल से ख़फा मत करना
ग़र निभाने की चले बात मना मत करना.
दिल के रिश्तों में कभी जोड़-घटा मत करना.
रात आएगी तो इनका ही सहारा होगा,
भूल से दिन में चराग़ों से दगा मत करना.
माना वादी में अभी धूप की सरगोशी है,
तुम रज़ाई को मगर ख़ुद से जुदा मत करना.
कुछ गुनाहों का हमें हक़ मिला है कुदरत से,
बात अगर जान भी जाओ तो गिला मत करना.
दिल की बातों में कई राज़ छुपे होते हैं,
सुन के बातों को निगाहों से कहा मत करना.
है ये मुमकिन के सभी ख्वाब कभी हों पूरे ,
अपने सपनों को कभी खुद से फ़ना मत करना.
ज़िन्दगी अपनी लगा देते हैं जो शिद्दत से,
उन बुज़ुर्गों को कभी दिल से ख़फा मत करना.
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