कुछ यूँ फिसल के वो मेरी बाहों में आ गए
ना चाहते हुए भी निगाहों में आ गए
सच की तलाश थी में अकेला निकल पड़ा
जुड़ते रहे थे लोग जो राहों में आ गए
हम भीगने को प्रेम की बरसात में सनम
कुछ देर बादलों की पनाहों में आ गए
था प्रेम उनसे उनके लगे झूठ सच सभी
ना चाह कर भी उनके गुनाहों में आ गए
मशहूर हो गया है हमारा भी नाम अब
हम भी किसी हसीन की आहों में आ गए