बस इतना कहना है देश के बन्दों से
राजनीति जो करते हैं बलिदानों पर
ढूंढ के उनको घर के बाहर कर देना
गद्दारों का साथ सदा जो देते हैं
कान खोल कर मेरी बातें सुन लेना
और नहीं कुछ और नहीं अब सहना है
सबको बच कर रहना है ...
सीमाओं पे देश की सैनिक डटे हुए
कफ़न बाँध कर मुस्तैदी से खड़े हुए
घर के भीतर सजग रहे हम सब इतना
थर थर कांपे शत्रु सारे डरे हुए
नहीं जरूरी संग धार के बहना है
सबको बच कर रहना है ...
प्रेम,
अहिंसा, ज्ञान हमारी पूँजी है
जो भी हमसे मांगोगे हम दे देंगे
मगर तोड़ने वालों इतना सुन लेना
अपने माथे का चंदन हम ले लेंगे
काश्मीर तो देश का सुन्दर गहना है
सबको बच कर रहना है ...