पता नही प्रेम है के नही ... पर कुछ करने का मन करना वो भी किसी एक की ख़ातिर ... जो भी नाम देना चाहो दे देना ... हाँ ... जैसे कुछ शब्द रखते हैं ताकत अन्दर तक भिगो देने की, वैसे कुछ बारिशें बरस कर भी नहीं बरस पातीं ... लम्हों का क्या ... कभी सो गए कभी चुभ गए ...
रात के तीसरे पहर
पसरे हुए घने अँधेरे की चादर तले
बाहों में बाहें डाल दिन के न निकलने की दुआ माँगना
प्रेम तो नहीं कह सकते इसे
किस्मत वाले हैं जिन्होंने प्रेम नहीं किया
जंगली गुलाब के गुलाबी फूल उन्हें गुलाबी नज़र आते हैं
उतार नहीं पाता ठहरी हुयी शान्ति मन में
कि आती जाती साँसों का शोर
खलल न डाल दे तुम्हारी नींद में
तुम इसे प्यार समझोगी तो ये तुम्हारा पागलपन होगा
हर आदमी के अन्दर छुपा है शैतान
हक़ है उसे अपनी बात कहने का
तुमसे प्यार करने का भी
काश के टूटे मिलते सड़कों पे लगे लैम्प
काली हो जाती घनी धूप
आते जातों से नज़रें बचा कर
टांक देता जंगली गुलाब तेरे बालों में
वैसे मनाही तो नहीं तुम्हें चूमने की भी
रात के तीसरे पहर
पसरे हुए घने अँधेरे की चादर तले
बाहों में बाहें डाल दिन के न निकलने की दुआ माँगना
प्रेम तो नहीं कह सकते इसे
किस्मत वाले हैं जिन्होंने प्रेम नहीं किया
जंगली गुलाब के गुलाबी फूल उन्हें गुलाबी नज़र आते हैं
उतार नहीं पाता ठहरी हुयी शान्ति मन में
कि आती जाती साँसों का शोर
खलल न डाल दे तुम्हारी नींद में
तुम इसे प्यार समझोगी तो ये तुम्हारा पागलपन होगा
हर आदमी के अन्दर छुपा है शैतान
हक़ है उसे अपनी बात कहने का
तुमसे प्यार करने का भी
काश के टूटे मिलते सड़कों पे लगे लैम्प
काली हो जाती घनी धूप
आते जातों से नज़रें बचा कर
टांक देता जंगली गुलाब तेरे बालों में
वैसे मनाही तो नहीं तुम्हें चूमने की भी