गम के किस्से,
ख़ुशी के ठेले हैं
ज़िन्दगी में
बहुत झमेले हैं
वक़्त का भी अजीब आलम है
कल थी तन्हाई आज मेले हैं
बस इसी बात से तसल्ली है
चाँद सूरज सभी अकेले हैं
भूल जाते हैं सब बड़े हो कर
किसके हाथों में रोज़ खेले हैं
चुप से
बैठे हैं आस्तीनों में
नाग हैं
या के उसके चेले हैं
टूट जाते हैं गम की आँधी से
लोग मिट्टी के कच्चे ढेले हैं
कितने मीठे हैं आज ये जाना
चन्द यादों के कुछ करेले हैं
खोल के
ज़ख्म सब दिखा देंगे
मत कहो
तुमने दर्द झेले हैं