सिक्कों का कुछ चाँद सितारों का बंधन.
चुम्बक है पर तेरी बाहों का बंधन.
दिन में भी तो चाँद नज़र आ जाता है,
इसने कब माना है रातों का बंधन.
तेरी आहट जैसे ही दरवाज़े पर,
खोल दिया बादल ने बूंदों का बंधन.
जो करना है अभी करो, बस अभी करो,
किसने जाना कब तक साँसों का बंधन.
तुमसे रौनक, तुमसे
रोटी, सब्जी, दाल,
वरना ये घर चार दीवारों का बंधन.
सूरज की दस्तक को कब तक ठुकराते,
टूट गया सपनों की बातों का बंधन.
कब तक तेरा साथ, वक़्त
का पता नहीं,
तेरा जाना ट्रिगर है यादों का बंधन.