वो जो कड़वी ज़ुबान होते हैं,
एक तन्हा मचान होते हैं.
चुप ही रहने में है समझदारी,
कुछ किवाड़ों में कान होते हैं.
एक दो, तीन चार, बस भी करो,
लोग चूने का पान होते हैं.
उम्र है
लोन, सूद हैं सासें,
अन्न-दाता, किसान होते हैं.
गोलियाँ,
गालियाँ, खड़े तन कर,
फौज के ही जवान होते हैं.
एक टूटी सी तान होते हैं.
हाथ खेतों की धान होते हैं.