स्वप्न मेरे: कान्हा - एक ग़ज़ल

शुक्रवार, 12 सितंबर 2025

कान्हा - एक ग़ज़ल

 मेरी एक ग़ज़ल वर्षा जी की आवाज़ में … वर्षा जी रायपुर की रहने वाली हैं और बहुत ही कमाल की आवाज़ है उनकी … 

बहुत आभार वर्षा जी का इस कान्हा को समर्पित ग़ज़ल को आवाज़ देने के लिए … 

पाँव कान्हा के छू कर विहल हो गए 

माता यमुना के तेवर प्रबल हो गए 

सौ की मर्यादा टूटी सुदर्शन चला 

पल वो शिशुपाल के काल-पल हो गए 

राधे-राधे जपा हो गई तब कृपा 

कुंज गलियन में जीवन सफल हो गए



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