मेरी एक ग़ज़ल वर्षा जी की आवाज़ में … वर्षा जी रायपुर की रहने वाली हैं और बहुत ही कमाल की आवाज़ है उनकी …
बहुत आभार वर्षा जी का इस कान्हा को समर्पित ग़ज़ल को आवाज़ देने के लिए …
पाँव कान्हा के छू कर विहल हो गए
माता यमुना के तेवर प्रबल हो गए
सौ की मर्यादा टूटी सुदर्शन चला
पल वो शिशुपाल के काल-पल हो गए
राधे-राधे जपा हो गई तब कृपा
कुंज गलियन में जीवन सफल हो गए
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