प्रेम का गीत है, गीत गाते रहो
गुनगुनाते रहो, गुनगुनाते रहो
तितलियों ने कहा, फूल को चूम कर
खिलखिलाते रहो, खिलखिलाते रहो
रात जुगनू से बोली, सहर आने तक
झिलमिलाते रहो, झिलमिलाते रहो
पंछियों को जगा कर, ये बोली किरन
चहचहाते रहो, चहचहाते रहो
सर्द मौसम कहे, धूप के कान में
कुनमुनाते रहो, कुनमुनाते रहो
दिल में ख़ंजर उतारा कहा प्यार से
मुस्कुराते रहो, मुस्कुराते रहो
दिल की कुण्डी कभी तो खुलेगी सुनो
खटखटाते रहो, खटखटाते रहो
गुनगुनाते रहो, गुनगुनाते रहो
तितलियों ने कहा, फूल को चूम कर
खिलखिलाते रहो, खिलखिलाते रहो
रात जुगनू से बोली, सहर आने तक
झिलमिलाते रहो, झिलमिलाते रहो
पंछियों को जगा कर, ये बोली किरन
चहचहाते रहो, चहचहाते रहो
सर्द मौसम कहे, धूप के कान में
कुनमुनाते रहो, कुनमुनाते रहो
दिल में ख़ंजर उतारा कहा प्यार से
मुस्कुराते रहो, मुस्कुराते रहो
दिल की कुण्डी कभी तो खुलेगी सुनो
खटखटाते रहो, खटखटाते रहो
बहुत अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबढ़िया रचना , सुंदर लेखन दिगंबर भाई धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंI.A.S.I.H - ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
दिल की कुण्डी कभी तो खुलेगी सुनो
जवाब देंहटाएंखटखटाते रहो, खटखटाते रहो....बहुत सुंदर ...
चुलबुली सी सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंमाँ ने कहा यूँ ही रचना रच प्रसिद्धी पा कर
जवाब देंहटाएंचमकते रहो चमकते रहो
खूबसूरत शब्द और भाव
जवाब देंहटाएंदिल में ख़ंजर उतारा कहा प्यार से
जवाब देंहटाएंमुस्कुराते रहो, मुस्कुराते रहो
वाह क्या बात है, मस्त है !
यह खटखटाना,झिलमिलाना सच्चे प्रेम को परिभाषित करता है....चाहे प्रेम प्रकृति से हो या प्रकृति के सबसे बड़े प्रतिनिधि मानव से।
जवाब देंहटाएंप्रकृति से हम जीना सीख सकते हैं.
जवाब देंहटाएंसार गर्भित कविता.
गुनगुनाना, चहचहाना और मुस्कुराना आ गया तो समझो दिल का दरवाजा खुलवाना भी आ गया..
जवाब देंहटाएंआपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति मंगलवारीय चर्चा मंच पर ।।
जवाब देंहटाएंसहज, सुन्दर एवं रोचक पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन आज की बुलेटिन, इंसान की दुकान मे जुबान का ताला - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट : अपेक्षाओं के बोझ तले सिसकता बचपन
पंछियों को जगा कर, ये बोली किरन
जवाब देंहटाएंचहचहाते रहो, चहचहाते रहो
दिल में ख़ंजर उतारा कहा प्यार से
मुस्कुराते रहो, मुस्कुराते रहो
वाह! वाह! लाजवाब! बेहतरीन ग़ज़ल! हर शेर खूबसूरत..
वाह, बहुत बढिया .
जवाब देंहटाएंआज तक कभी आपको इतनी लाइट ग़ज़ल कहते नहीं देखा भाई साहब! ऐसा लगा जैसे रमादान की छुट्टियों में आरामतलबी में कही गई ग़ज़ल है. मगर जो भी है, लाजवाब है!
जवाब देंहटाएंशब्दों को आप नचाते हैं और वे खुशी-खुशी नाचते हैं । बहुत आसान सी लेकिन सारगर्भित रचना है यह ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना …
जवाब देंहटाएंआशाएँ जगाते रहो, जगाते रहो!
जवाब देंहटाएंबोलचाल की भाषा में लिखी इतनी भावपूर्ण और सुंदर रचना बहुत अर्से बाद पढ़ने को मिली है. बहुत ही सुंदर.
जवाब देंहटाएंकबीर ने भी का है -
जवाब देंहटाएंआँखड़ियाँ झाईँ पड़ीं पंथ निहारि-निहारि,
जीभड़ियाँ छला पड़्या,तोहि पुकार-पुकार !
और आप इसी तरह गीत और गज़ल लिखते रहो लिखते रहो...:)
जवाब देंहटाएंवाह ! बहुत सुन्दर |
जवाब देंहटाएंनई रचना मेरा जन्म !
सर्द मौसम कहे, धूप के कान में
जवाब देंहटाएंकुनमुनाते रहो, कुनमुनाते रहो
दिल में ख़ंजर उतारा कहा प्यार से
मुस्कुराते रहो, मुस्कुराते रहो
...बहुत खूब! हर हाल में खुश रहना सीखना होगा ..
दिल की कुण्डी कभी तो खुलेगी सुनो
जवाब देंहटाएंखटखटाते रहो, खटखटाते रहो
हहाआआ ! एकदम मस्त दिगंबर साब
अंतिम पंक्तियों के क्या कहने .... लाजवाब प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसादर
अंतिम पंक्तियों के क्या कहने .... लाजवाब प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसादर
अंतिम पंक्तियों के क्या कहने .... लाजवाब प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसादर
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जवाब देंहटाएंअच्छी ग़ज़ल कही है :
जवाब देंहटाएंदिल की कुण्डी कभी तो खुलेगी सुनो
खटखटाते रहो, खटखटाते रहो
गीत आये न आये सुनों दोस्तों -
गुनगुनाते रहो गुनगुनाते रहो।
कभी -कभी कोई रचना कैसे ओंठों पर ठहर जाती है जिसके लिए दिल कहता है .. गुनगुनाते रहो..गुनगुनाते रहो..
जवाब देंहटाएंखूबसूरत भाव... ज़िन्दगी को भरपूर जियो...संदेशप्रद रचना, बधाई.
जवाब देंहटाएंआपकी इस रचना का लिंक कल दिनांक - ११ . ७ . २०१४ को I.A.S.I.H पोस्ट्स न्यूज़ पर होगा , कृपया पधारें धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंयूँ ही सजती रहे एक उम्दा ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंआप दिल से कलम बस चलते रहो.
वाह बहुत खूबसूरत रचना हार्दिक बधाई । उर्जा का संचार करने में सक्षम ।
जवाब देंहटाएंसादर आभार
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जवाब देंहटाएंखटखटाते रहो, खटखटाते रहो... आशावादी रचना :)
दिल में ख़ंजर उतारा कहा प्यार से
जवाब देंहटाएंमुस्कुराते रहो, मुस्कुराते रहो
...वाह..क्या बात है...बहुत प्यारी ग़ज़ल...
कल 13/जुलाई /2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !
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जवाब देंहटाएंबहुत ही गहरे भावो की अभिवयक्ति......
जवाब देंहटाएंकर्मण्येवाधिकारस्ते...
जवाब देंहटाएंbhaawo ko bahut acche se khatkhataya hai aapne.... waah !!
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NICE ARTICLE
जवाब देंहटाएंverygood
जवाब देंहटाएंApne bahut acha article likha hai dhayavad
जवाब देंहटाएंthanks
वाह..क्या बात है...बहुत प्यारी ग़ज़ल.
जवाब देंहटाएं