स्वप्न मेरे: दिसंबर 2024

शनिवार, 28 दिसंबर 2024

सच का सच ...

बिन बोले, बिन कहे
कितना कुछ कहा जा सकता है

पर जैसा कहा
क्या दूसरा वैसा ही समझ सकता है
क्या सच के पीछे छुपा सच समझ आता है

शायद हाँ ... शायद ना ...

शायद कई बार समझ तो आता है
पर समय निकल जाने के बाद 

इसे समझना कहें ... 
शायद हाँ ... शायद ना ... 

#स्वप्न_मेरे

मंगलवार, 24 दिसंबर 2024

मौन और संवाद

मौन क्या है
दूरियों को पाटने वाला संवाद
या समय के साथ चौड़ी होती खाई ...

और संवाद ... वो क्या है
महज़ एक वार्तालाप ?
समझने, समझाने का माध्यम ?
या आने वाले सन्नाटे कि और बढ़ता, एक कदम ...

शायद अती में होने वाली हर स्थिति की तरह
मौन और संवाद की सीमा भी ज़रूरी है
वर्ना गिट भर कि दूरी
उम्र भर का फाँसला भी तय नहीं कर पाती ...
#स्वप्न_मेरे

शनिवार, 21 दिसंबर 2024

ज़रुरत ...

पचपन डिग्री पारे में
रेत के रेगितान पे चलते हुए
मरीचिका न मिले तो क्या चलना मुमकिन होगा
तुम भी न हो और हो सपने देखने पे पाबंदी
ऐसे तो नहीं चलती साँसें

जरूरी होता है एक हल्का सा झटका कभी कभी
रुकी हुयी सूइयाँ चलाने के लिए ...
#जंगली_गुलाब