स्वप्न मेरे: सच का सच ...

शनिवार, 28 दिसंबर 2024

सच का सच ...

बिन बोले, बिन कहे
कितना कुछ कहा जा सकता है

पर जैसा कहा
क्या दूसरा वैसा ही समझ सकता है
क्या सच के पीछे छुपा सच समझ आता है

शायद हाँ ... शायद ना ...

शायद कई बार समझ तो आता है
पर समय निकल जाने के बाद 

इसे समझना कहें ... 
शायद हाँ ... शायद ना ... 

#स्वप्न_मेरे

7 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में सोमवार 30 दिसंबर 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!

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  2. सच समझ में आता तो सबको है पर उस पर चलने की हिम्मत कोई विरला ही उठा पाता है

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  3. बहुत खूब।
    समझ तो आ ही जाता है, ये अलग बात है कि अगला समझना चाहता है कि नहीं।

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  4. प्रेम हो तो परवाह होगी और परवाह है तो कहने सुनने की जरूरत ही कहाँ..इसके विपरीत भैस के आगे मृदंग बाजे वाली स्थिति....

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  5. सच का सच समझ आया , शायद हाँ शायद न । उम्दा रचना ।

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