स्वप्न मेरे
स्वप्न स्वप्न स्वप्न, सपनो के बिना भी कोई जीवन है
रविवार, 6 अक्तूबर 2024
ख़ास दिन …
कुछ कहने के लिए किसी ख़ास दिन की ज़रूरत नहीं है वैसे तो … पर अगर दिन ख़ास है तो क्यूँ न उस दिन तो कहा ही जाए … राधे-राधे 😊😊😊🌹🌹🌹🌹🌹
सुना है उम्र की पहली साँस से
होता है जीवन का आग़ाज़
पर सच कहूँ तो उसको जीने का आग़ाज़
होता है तब से
जब ज़िन्दगी में खिलता है जंगली गुलाब
वक़्त की निरंतर चाल उड़ाती है उसकी ख़ुशबू
महकाती है हर वो पल
जिसका सृजन होता है दो प्रेमियों के मिलन से
ऐसी ही है कुछ हमारी कहानी भी
आज ही तो खिला था
वो जंगली गुलाब मेरी कायनात में
#जंगली_गुलाब
सोमवार, 30 सितंबर 2024
रँग ...
इंद्र-धनुष के सात रँगों में रँग नहीं होते
रँग सूरज की किरणों में भी नहीं होते
और आकाश के नीलेपन में तो बिलकुल भी नहीं ...
दरअसल रँग होते हैं तो देखने वाले की आँख में
जो जागते हैं प्रेम के एहसास से
जंगली गुलाब की चटख पंखुड़ियों में
तुम भी तो ऐसी ही सतरंगी कायनात हो ...
रँग सूरज की किरणों में भी नहीं होते
और आकाश के नीलेपन में तो बिलकुल भी नहीं ...
दरअसल रँग होते हैं तो देखने वाले की आँख में
जो जागते हैं प्रेम के एहसास से
जंगली गुलाब की चटख पंखुड़ियों में
तुम भी तो ऐसी ही सतरंगी कायनात हो ...
#जंगली_गुलाब
बुधवार, 25 सितंबर 2024
माँ ...
एक सच जो माँ के रहते कभी महसूस नहीं किया, माँ की हर बात उसके जाने के बाद ही सबसे ज्यादा याद आती है. माँ शायद जानती है ये बात पर अपने रहते हुए जतलाती नहीं.
आज १२ साल हो गए पर लगता नहीं तेरे करीब रहे किसी भी इंसान को ...
बड़े बुजुर्गों ने कहा
अड़ोसी-पड़ोसियों ने कहा
आते-जाते ने कहा
माँ नहीं रही
पर मैं कैसे मान लूँ तू नहीं रही
तूने खुद से तो नहीं कहा
फिर तू है ... हर जगह हर शै में ...
आते-जाते उठते-बैठते तुझसे बातें करता हूँ
फिर कैसे कह दूँ तू नहीं रही
ओर अगर तू नहीं होती
तो जीना क्या इतना आसान होता ... ?
झूठ बोलते हैं सब ...
बड़े बुजुर्गों ने कहा
अड़ोसी-पड़ोसियों ने कहा
आते-जाते ने कहा
माँ नहीं रही
पर मैं कैसे मान लूँ तू नहीं रही
तूने खुद से तो नहीं कहा
फिर तू है ... हर जगह हर शै में ...
आते-जाते उठते-बैठते तुझसे बातें करता हूँ
फिर कैसे कह दूँ तू नहीं रही
ओर अगर तू नहीं होती
तो जीना क्या इतना आसान होता ... ?
झूठ बोलते हैं सब ...
शनिवार, 21 सितंबर 2024
प्रेम के रिश्ते ...
सुलगते ख्वाब
कुनमुनाती धूप में लहराता आँचल
तल की गहराइयों में हिलोरें लेती प्रेम की सरगम
सतरंगी मौसम के साथ साँसों में घुलती मोंगरे की गंध
क्या यही है प्रेम के रिश्ते की पहचान
या इनसे भी कुछ इतर
दूर कहीं खिल-खिलाता जंगली गुलाब ...
कुनमुनाती धूप में लहराता आँचल
तल की गहराइयों में हिलोरें लेती प्रेम की सरगम
सतरंगी मौसम के साथ साँसों में घुलती मोंगरे की गंध
क्या यही है प्रेम के रिश्ते की पहचान
या इनसे भी कुछ इतर
दूर कहीं खिल-खिलाता जंगली गुलाब ...
#जंगली_गुलाब
शुक्रवार, 13 सितंबर 2024
पुन्य ...
चाहता हूँ अच्छे काम करना
की जब हो रहा हो हिसाब खातों का मेरे
बच सके कुछ पुन्य मेरे हिस्से में
मांगना चाहता हूं मैं तुमको इनकी एवज़ में ...
की जब हो रहा हो हिसाब खातों का मेरे
बच सके कुछ पुन्य मेरे हिस्से में
मांगना चाहता हूं मैं तुमको इनकी एवज़ में ...
#जंगली_गुलाब
शनिवार, 7 सितंबर 2024
सिरफिरे ...
मत ढूंढना मेरे शब्दों में अपने किस्से
ओर प्रेमिका तो कभी नहीं
मैं नहीं चाहता बढ़ जाए सिरफिरों की गिनती
काँटों में न ढूँढने लग जाएँ जंगली गुलाब
टुकड़ों में न बंट जाए ये शहर …
ओर प्रेमिका तो कभी नहीं
मैं नहीं चाहता बढ़ जाए सिरफिरों की गिनती
काँटों में न ढूँढने लग जाएँ जंगली गुलाब
टुकड़ों में न बंट जाए ये शहर …
#जंगली_गुलाब
सोमवार, 26 अगस्त 2024
जन्माष्टमी …
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की सभी को हार्दिक बधाई
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
सजा हुआ है आज फिर, कान्हा का दरबार,
अरजी पर शायद मेरी, चर्चा हो इस बार.
बुधवार, 21 अगस्त 2024
शुक्रवार, 5 जुलाई 2024
देवता - पत्थर के ...
मैंने कहा तेरे सहारे जीना चाहता हूँ
वो होले से मुस्कुराई ओर चली गई
कहा था न मैंने ...
मुस्कुराते हैं पत्थर के देवता भी ...
वो होले से मुस्कुराई ओर चली गई
कहा था न मैंने ...
मुस्कुराते हैं पत्थर के देवता भी ...
#जंगली_गुलाब
शनिवार, 29 जून 2024
क़तरा - क़तरा ...
उठता तो ज़रूर है एक पत्थर कहीं से
आईना चटखने से पहले
फिर उस रोज़ तुमने भी तो देखा था
अंजान नज़रों से एक टक
दिल की अन-गिनत दरारों से
दर्द टपकता है बे-हिसाब क़तरा – क़तरा ...
आईना चटखने से पहले
फिर उस रोज़ तुमने भी तो देखा था
अंजान नज़रों से एक टक
दिल की अन-गिनत दरारों से
दर्द टपकता है बे-हिसाब क़तरा – क़तरा ...
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