हर पुराने को समेटना क्या ठीक है
उन्ही चीज़ों को बार बार देखना,
सहेजना ... फिर सहेजना
समेटना ... फिर समेटना क्या ठीक है
यादों का कूड़ा दर्द के अलावा कुछ देता है क्या
वैसे सहेजने के बाद
क्या निकाल फैंकना आसान है इन्हें
शायद हाँ, शायद ना ...
स्वप्न मेरे
स्वप्न स्वप्न स्वप्न, सपनो के बिना भी कोई जीवन है
शनिवार, 30 नवंबर 2024
शनिवार, 23 नवंबर 2024
सपना, काँच या ज़िन्दगी ...
खुद पे पाबन्दी कभी कामयाब नहीं होती
कभी कभी तोड़ने की जिद्द इतनी हावी होती है
पता नहीं चलता कौन टूटा ...
“सपना, काँच या ज़िन्दगी”
खुद से करने को ढेरों बातें
फुसरत के लम्हे आसानी से कहाँ मिलते हैं
काश टूटने से पहले पूरी हो ये चाहत ...
कभी कभी तोड़ने की जिद्द इतनी हावी होती है
पता नहीं चलता कौन टूटा ...
“सपना, काँच या ज़िन्दगी”
खुद से करने को ढेरों बातें
फुसरत के लम्हे आसानी से कहाँ मिलते हैं
काश टूटने से पहले पूरी हो ये चाहत ...
#जंगली_गुलाब
सोमवार, 11 नवंबर 2024
बिमारी ... प्रेम की ...
अजीब बिमारी है प्रेम
न लगे तो छटपटाता है
लग जाये तो ठीक होने का मन नहीं करता
समुंदर जिसमें बस तैरते रहो
आग जिसमें जलते रहो
शराब जिसको बस पीते रहो
जंगली गुलाब ... जिसे बस सोचते रहो ...
न लगे तो छटपटाता है
लग जाये तो ठीक होने का मन नहीं करता
समुंदर जिसमें बस तैरते रहो
आग जिसमें जलते रहो
शराब जिसको बस पीते रहो
जंगली गुलाब ... जिसे बस सोचते रहो ...
#जंगली_गुलाब
गुरुवार, 7 नवंबर 2024
प्रेम का होना ...
प्रेम राधा ने किया, कृष्ण ने, मीरा ने किया
हीर ने तो मजनू ने भी प्रेम ही किया
पात्र बदलते रहे समय के साथ, प्रेम नहीं
वो तो रह गया अंतरिक्ष में, पुनः आने के लिए ...
किस्मत वाले होते हैं वो किरदार
प्रेम जिनका चयन करता है जीने के लिए
सच पूछो तो तुम भी
एक ऐसी ही रचना हो श्रृष्टि की ...
हीर ने तो मजनू ने भी प्रेम ही किया
पात्र बदलते रहे समय के साथ, प्रेम नहीं
वो तो रह गया अंतरिक्ष में, पुनः आने के लिए ...
किस्मत वाले होते हैं वो किरदार
प्रेम जिनका चयन करता है जीने के लिए
सच पूछो तो तुम भी
एक ऐसी ही रचना हो श्रृष्टि की ...
#जंगली_गुलाब
गुरुवार, 31 अक्तूबर 2024
तेरी खुशबू से महके ख़त मिले हैं ...
उजाले के पर्व दीपावली की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं ...
प्रभु राम का आगमन सभी को शुभ हो ...
तभी ये दीप घर-घर में जले हैं.
सजग सीमाओं पर प्रहरी खड़े हैं.
जले इस बार दीपक उनकी खातिर,
वतन के वास्ते जो मर मिटे हैं.
झुकी पलकें, दुपट्टा आसमानी,
यहाँ सब आज सतरंगी हुवे हैं.
अमावस की हथेली से फिसल कर,
उजालों के दरीचे खुल रहे हैं.
पटाखों से प्रदूषण हो रहा है,
दीवाली पर ही क्यों जुमले बने हैं.
सुबह उठ कर छुए हैं पाँव माँ के,
हमारे लक्ष्मी पूजन हो चुके हैं.
सफाई में मिली इस बार दौलत,
तेरी खुशबू से महके ख़त मिले हैं.
(तरही ग़ज़ल)
प्रभु राम का आगमन सभी को शुभ हो ...
तभी ये दीप घर-घर में जले हैं.
सजग सीमाओं पर प्रहरी खड़े हैं.
जले इस बार दीपक उनकी खातिर,
वतन के वास्ते जो मर मिटे हैं.
झुकी पलकें, दुपट्टा आसमानी,
यहाँ सब आज सतरंगी हुवे हैं.
अमावस की हथेली से फिसल कर,
उजालों के दरीचे खुल रहे हैं.
पटाखों से प्रदूषण हो रहा है,
दीवाली पर ही क्यों जुमले बने हैं.
सुबह उठ कर छुए हैं पाँव माँ के,
हमारे लक्ष्मी पूजन हो चुके हैं.
सफाई में मिली इस बार दौलत,
तेरी खुशबू से महके ख़त मिले हैं.
(तरही ग़ज़ल)
शनिवार, 26 अक्तूबर 2024
तकाज़ा ...
वो टकराएगी किनारों से तो क्या होगा
उसके हँसने पे धूप खिलेगी या महकेगी रात रानी
पिघलेगी मोम उसके हाथों में या बर्फ होगा पानी
बहुत सी बातें जो मैं जानता हूँ
तुम न ही जानों तो अच्छा ...
उसके हँसने पे धूप खिलेगी या महकेगी रात रानी
पिघलेगी मोम उसके हाथों में या बर्फ होगा पानी
बहुत सी बातें जो मैं जानता हूँ
तुम न ही जानों तो अच्छा ...
#जंगली_गुलाब
शनिवार, 19 अक्तूबर 2024
करवाचौथ ...
रोकूँगा नहीं तुम्हें …
पर सच बताना … ये इंतज़ार है चाँद का
या आवारा से किसी प्यार के झोंके का ...
जानता हूँ ये करवा चौथ का व्रत
अभिव्यक्ति है प्रेम के अनकहे एहसास की
समर्पण के उस भाव की
जो शिव कर देता है हर बंधन …
आज रोकूँगा नहीं तुम्हें …
इसलिए नहीं कि मुझे चाहत है लम्बी उम्र की
या ज़रूरी है किसी पुरातन परम्परा का निर्वाह
इसलिए भी नहीं की तुमने ये व्रत नहीं रक्खा
तो क्या कहेगा ये समाज
बल्कि इसलिए ...
कि तुम्हारे प्यार के इज़हार का ये एक दिन
दे देता है मुझे वजह कई-कई सालों के प्यार की
समय के साथ हर पल तुम्हारे इंतज़ार की
हाँ … आज रोकूँगा नहीं तुम्हें …
#जंगली_गुलाब
पर सच बताना … ये इंतज़ार है चाँद का
या आवारा से किसी प्यार के झोंके का ...
जानता हूँ ये करवा चौथ का व्रत
अभिव्यक्ति है प्रेम के अनकहे एहसास की
समर्पण के उस भाव की
जो शिव कर देता है हर बंधन …
आज रोकूँगा नहीं तुम्हें …
इसलिए नहीं कि मुझे चाहत है लम्बी उम्र की
या ज़रूरी है किसी पुरातन परम्परा का निर्वाह
इसलिए भी नहीं की तुमने ये व्रत नहीं रक्खा
तो क्या कहेगा ये समाज
बल्कि इसलिए ...
कि तुम्हारे प्यार के इज़हार का ये एक दिन
दे देता है मुझे वजह कई-कई सालों के प्यार की
समय के साथ हर पल तुम्हारे इंतज़ार की
हाँ … आज रोकूँगा नहीं तुम्हें …
#जंगली_गुलाब
शनिवार, 12 अक्तूबर 2024
बीतना ... समय का या हमारा ...
लोग अक्सर कहते हैं समय बीत जाता है
यादों के अनगिनत लम्हों पर
धूल की परत जमती रहती है
समय बीतता है ... या बीतते हैं हम
और यादें ... उनका क्या
धार-दार होती रहती हैं समय के साथ
तुम भी बूढी नहीं हुईं
ताज़ा हो यादों में जंगली गुलाब के जैसे ...
#जंगली_गुलाब
यादों के अनगिनत लम्हों पर
धूल की परत जमती रहती है
समय की धीमी चाल
शरीर पे लगा हर घाव धीरे-धीरे भर देती है
क्या सचमुच ऐसा होता है ...
शरीर पे लगा हर घाव धीरे-धीरे भर देती है
क्या सचमुच ऐसा होता है ...
समय बीतता है ... या बीतते हैं हम
और यादें ... उनका क्या
धार-दार होती रहती हैं समय के साथ
तुम भी बूढी नहीं हुईं
ताज़ा हो यादों में जंगली गुलाब के जैसे ...
#जंगली_गुलाब
रविवार, 6 अक्तूबर 2024
ख़ास दिन …
कुछ कहने के लिए किसी ख़ास दिन की ज़रूरत नहीं है वैसे तो … पर अगर दिन ख़ास है तो क्यूँ न उस दिन तो कहा ही जाए … राधे-राधे 😊😊😊🌹🌹🌹🌹🌹
सुना है उम्र की पहली साँस से
होता है जीवन का आग़ाज़
पर सच कहूँ तो उसको जीने का आग़ाज़
होता है तब से
जब ज़िन्दगी में खिलता है जंगली गुलाब
वक़्त की निरंतर चाल उड़ाती है उसकी ख़ुशबू
महकाती है हर वो पल
जिसका सृजन होता है दो प्रेमियों के मिलन से
ऐसी ही है कुछ हमारी कहानी भी
आज ही तो खिला था
वो जंगली गुलाब मेरी कायनात में
#जंगली_गुलाब
सोमवार, 30 सितंबर 2024
रँग ...
इंद्र-धनुष के सात रँगों में रँग नहीं होते
रँग सूरज की किरणों में भी नहीं होते
और आकाश के नीलेपन में तो बिलकुल भी नहीं ...
दरअसल रँग होते हैं तो देखने वाले की आँख में
जो जागते हैं प्रेम के एहसास से
जंगली गुलाब की चटख पंखुड़ियों में
तुम भी तो ऐसी ही सतरंगी कायनात हो ...
रँग सूरज की किरणों में भी नहीं होते
और आकाश के नीलेपन में तो बिलकुल भी नहीं ...
दरअसल रँग होते हैं तो देखने वाले की आँख में
जो जागते हैं प्रेम के एहसास से
जंगली गुलाब की चटख पंखुड़ियों में
तुम भी तो ऐसी ही सतरंगी कायनात हो ...
#जंगली_गुलाब
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