स्वप्न मेरे: Swapnmere
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बुधवार, 2 जुलाई 2025

दोस्ती वैसे भी हमको है निभानी आपकी ...

सब दराज़ें साफ़ कर लीं बात मानी आपकी.
क्या करूँ यादों का पर जो हैं पुरानी आपकी.

ज़ुल्फ़ का ख़म गाल का डिम्पल नयन की शोख़ियाँ, 
उफ़ अदा उस पर चुनर सरके है धानी आपकी.

रात मद्धम, खुश्क लम्हे, टुक सरकती ज़िन्दगी,
बज उठे ऐसे में चूड़ी आसमानी आपकी. 

शोर उठा अब तक पढ़ी, बोली, सुनी, देखी न हो,
मुस्कुरा के हमने भी कह दी कहानी आपकी.

शुक्र है आँखों कि भाषा सीख कर हम आये थे,
वरना मुश्किल था पकड़ना बेईमानी आपकी.

फैंकना हर चीज़ को आसान होता है सनम,
दिल से पर तस्वीर पहले है मिटानी आपकी.

जोश में कह तो दिया पर जा कहाँ सकते थे हम,
गाँव, घर, बस्ती, शहर है राजधानी आपकी.

हमसे मिल कर चुभ गया काँटा सुनो जो इश्क़ का,
काम आएगी नहीं फिर सावधानी आपकी.

चाँद, उफुक, बादल, तेरा घर, बोल जाना है कहाँ,
दोस्ती वैसे भी हमको है निभानी आपकी.

बुधवार, 26 फ़रवरी 2025

महा शिवरात्रि …

महा शिवरात्रि के पावन दिवस की सभी को बहुत बहुत बधाई …. भोले नाथ की विशेष कृपा सदा सब पर रहे.
अभी कुछ दिन पहले बाबा भीमाशंकर के दर्शन का सौभाग्य मिला और बाबा की विशेष कृपा से कुछ लिखने को प्रभु ने प्रेरित किया … आज महा शिवरात्रि पर रचना के कुछ अँश प्रस्तुत कर रहा हूँ, शीघ्र ही पूरी रचना के साथ प्रस्तुत होऊँगा…जय जय भोले नाथ 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

तू उदय न अस्त में शेष है, तू प्रलय विनाश प्रलेश है
तू ही शब्द-अशब्द विशेष है, तू ही ब्रह्म-नाद में लेश है
तू भवेश,अशेष,महेश है, तू ही सर्व-बंध-विमोचनम्
तू ही डम-ड-डम, तू ही बम-ब-बम, तू त्रयम्बकम्, तू शिव:-शिवम्

तू ही संत असंत महंत है, तू क्षितिज है छोर दिगंत है
तू अनादि-आदि न अंत है, तू असीम अपार, अनंत है
तू अघोर घोर जयंत है, तू ही सर्व लोक चरा-चरम्
तू ही डम-ड-डम, तू ही बम-ब-बम, तू त्रयम्बकम्, तू शिव:-शिवम्

तू ही गीत-अगीत प्रगीत में, तू ही छन्द ताल पुनीत में
तू भविष्य में तू अतीत में, तू समय के साथ व्यतीत में
तू ही वाध यंत्र सुगीत में, तू मृदंग नृत्य है तांडवम्
तू ही डम-ड-डम, तू ही बम-ब-बम, तू त्रयम्बकम्, तू शिव:-शिवम्

तू पुराण है तू नवीन है, तू प्रगट भी हो के विलीन है
तू ही चिर-समाधि में लीन है,ये जगत भी तेरे अधीन है
तू ही ज्ञान, ध्यान प्रवीन है, तू ही शंभु-शंभु महेश्वरम्
तू ही डम-ड-डम, तू ही बम-ब-बम, तू त्रयम्बकम्, तू शिव:-शिवम्
#mahashivratri #shivstuti #महाशिवरात्रि

शुक्रवार, 6 अक्टूबर 2023

खास दिन ...

सृष्टि ने जब कुछ देना है तो वो दे देती है, क्योंकि इंसान के जीवन में हर सजीव हर लम्हा उस कायनात का दिया हुआ ही तो है … ये दिन, ये महूरत … सब इंसानी बाते हैं … पर हम भी तो इंसान हैं … तो क्यों न दिन को खास मानें …

वक़्त की टहनियों पे टंगे प्रेम के गुलाबी लम्हे
संदली ख़ुशबू का झीना आवरण ओढ़े
सजीव हो उठते हैं सूरज की पहली किरण के साथ ...

ताज़ा हवा के झौकों के साथ
कायनात में खिलने लगते हैं जंगली गुलाब
कहीं मुखर हो जाते हैं डायरी में बन्द सूखे फूल जैसे

कहीं सादगी से पलकें झुकाए
तो कहीं आसमानी चुन्नी में महकते
जुड़ जाते हैं तमान ये लम्हे उम्र के हसीन सफ़र में

सच कहूँ ...
तुम ही तो मेरे एहसास का जंगली गुलाब हो
पुरानी डायरी का सूखा फूल
जागती आँखों का पहला ख़्वाब
देखा है जिसे ज़िन्दगी बनते बरसों पहले, तुम्हारे साथ ...
Love you Jana 🌹🌹🌹

#मद्धम_मद्धम 

मंगलवार, 24 अगस्त 2021

नज़र के इशारे नकाबों ने खोले ...

न महफ़िल न किस्से न बातों ने खोले.
सभी राज़ उनकी निगाहों ने खोले.
 
शहर तीरगी के मशालों ने खोले,
कई राज़ मिल के सितारों ने खोले.
 
मुहर एक दिन सब लगा देंगें इस पर,
तरक्की के रस्ते किताबों ने खोले.
 
रहस्यों का खुलना, मेरा मानना है,
लगातार होते सवालों ने खोले.
 
अदा है के मासूमियत, क्या करें हम,
कई सच तो उनके बहानों ने खोले,
 
न जुगनू की कोशिश में कोई कमी पर,
अंधेरों के चिलमन उजालों ने खोले.
 
अदा थी, हया थी, के इश्क़े – बयाँ था,
नज़र के इशारे नकाबों ने खोले
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