स्वप्न स्वप्न स्वप्न, सपनो के बिना भी कोई जीवन है
जरूरी होता है एक हल्का सा झटका कभी कभीरुकी हुयी सूइयाँ चलाने के लिए ... बहुत ज़रूरी चेतना की जागृति के लिए ऐसा होना.., यथार्थ परक सृजन ।
वाह
मरीचिका तभी तक टिकती है जब तक आप बहुत दूर हों, निकट आते ही विलीन हो जाती है, आँख खुलते ही सपने भी टूट जाते हैं, फिर क्या करे कोई इनका भरोसा
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में सोमवार 23 दिसंबर 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
वाह , कितना ज़रूरी सच कहा आपने ।
कभी कभी भ्रम यथार्थ से अधिक अच्छे साबित होते हैं । सच के पीछे भागते जीवन गुजर जाता है और जीवन भी क्या खुद ही एक भ्रम नहीं है ?
बहुत सुंदर कहा।
सपनों पर कहां पाबंदी, कलाम साहब जी के शब्दों में सपने देखेंगे तभी तो उसको सच कर पाएंगे।सुंदर सृजन।
मन है न कितनी ही मरीचिका गढ़ने के लिए...पाबंदियों के बाद भी सपने कहाँ रुकते हैं वाह!!!
आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है
जरूरी होता है एक हल्का सा झटका कभी कभी
जवाब देंहटाएंरुकी हुयी सूइयाँ चलाने के लिए ...
बहुत ज़रूरी चेतना की जागृति के लिए ऐसा होना.., यथार्थ परक सृजन ।
वाह
जवाब देंहटाएंमरीचिका तभी तक टिकती है जब तक आप बहुत दूर हों, निकट आते ही विलीन हो जाती है, आँख खुलते ही सपने भी टूट जाते हैं, फिर क्या करे कोई इनका भरोसा
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में सोमवार 23 दिसंबर 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंवाह , कितना ज़रूरी सच कहा आपने ।
जवाब देंहटाएंकभी कभी भ्रम यथार्थ से अधिक अच्छे साबित होते हैं । सच के पीछे भागते जीवन गुजर जाता है और जीवन भी क्या खुद ही एक भ्रम नहीं है ?
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कहा।
जवाब देंहटाएंसपनों पर कहां पाबंदी, कलाम साहब जी के शब्दों में सपने देखेंगे तभी तो उसको सच कर पाएंगे।
जवाब देंहटाएंसुंदर सृजन।
मन है न कितनी ही मरीचिका गढ़ने के लिए...
जवाब देंहटाएंपाबंदियों के बाद भी सपने कहाँ रुकते हैं
वाह!!!