स्वप्न मेरे: यादों का कूड़ा ...

शनिवार, 30 नवंबर 2024

यादों का कूड़ा ...

हर पुराने को समेटना क्या ठीक है
उन्ही चीज़ों को बार बार देखना,
सहेजना ... फिर सहेजना
समेटना ... फिर समेटना क्या ठीक है
यादों का कूड़ा दर्द के अलावा कुछ देता है क्या

वैसे सहेजने के बाद
क्या निकाल फैंकना आसान है इन्हें
शायद हाँ, शायद ना ...

5 टिप्‍पणियां:

  1. अक्सर अतीत ज़ंजीर बनकर मन पाखी के पैरों में अटक जाता है, उसे ऊँची उड़ान नहीं भरने देता, जबकि वर्तमान अनंत आकाश की तरह उसका स्वागत करने को आतुर है

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  2. शायद हाँ, शायद ना ...
    सही चिन्तन है आपका । सुन्दर अभिव्यक्ति ।

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  3. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में मंगलवार 03 दिसंबर 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

    जवाब देंहटाएं

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