हर पुराने को समेटना क्या ठीक है उन्ही चीज़ों को बार बार देखना, सहेजना ... फिर सहेजना समेटना ... फिर समेटना क्या ठीक है यादों का कूड़ा दर्द के अलावा कुछ देता है क्या
वैसे सहेजने के बाद क्या निकाल फैंकना आसान है इन्हें शायद हाँ, शायद ना ...
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में मंगलवार 03 दिसंबर 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
अक्सर अतीत ज़ंजीर बनकर मन पाखी के पैरों में अटक जाता है, उसे ऊँची उड़ान नहीं भरने देता, जबकि वर्तमान अनंत आकाश की तरह उसका स्वागत करने को आतुर है
जवाब देंहटाएंशायद हाँ, शायद ना ...
जवाब देंहटाएंसही चिन्तन है आपका । सुन्दर अभिव्यक्ति ।
:) सुन्दर
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में मंगलवार 03 दिसंबर 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंअभिनव
जवाब देंहटाएंपुरानी यादों से निकले तो निकले कैसे
जवाब देंहटाएंकभी यादों ने तो कभी हमने जकड़ रखा है उन्हें ।
वाह!!!
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