स्वप्न मेरे: कान्हा - एक ग़ज़ल

शुक्रवार, 12 सितंबर 2025

कान्हा - एक ग़ज़ल

 मेरी एक ग़ज़ल वर्षा जी की आवाज़ में … वर्षा जी रायपुर की रहने वाली हैं और बहुत ही कमाल की आवाज़ है उनकी … 

बहुत आभार वर्षा जी का इस कान्हा को समर्पित ग़ज़ल को आवाज़ देने के लिए … 

पाँव कान्हा के छू कर विहल हो गए 

माता यमुना के तेवर प्रबल हो गए 

सौ की मर्यादा टूटी सुदर्शन चला 

पल वो शिशुपाल के काल-पल हो गए 

राधे-राधे जपा हो गई तब कृपा 

कुंज गलियन में जीवन सफल हो गए



13 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में सोमवार 15 सितंबर 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!

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  2. स्वर की मधुरता ने चार चाँद लगा दिए सृजन में ! राधे -राधे !! जय श्री कृष्ण !!

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  3. वाह!! भक्ति रस में डूबी सुंदर सरस रचना, वर्षा जी की आवाज़ के क्या कहने

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  4. जितनी अच्छी गजल उतनी अच्छी गायिकी भी,,, वर्षा जी के स्वर सधे है क्लासिकल संगीत सीखा लगता है,,

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  5. बहुत सुंदर रचना बहुत सुंदर गान सर्वस्व भक्तिमय।

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  6. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में सोमवार 15 सितंबर 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!

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  7. लाजवाब गजल और मधुरिम गायन👌👌
    वाह!!!!
    क्या कहने....
    बधाई एवं शुभकामनाएं आप दोनों को🙏🙏

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  8. दिगंबर भाई, आपकी रचनाये तो लाजबाब रहती ही है। इस मधुर आवाज ने उसमे चार चांद लगा दिए।

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