शबनम से लिपटी घास पर
नज़र आते हैं कुछ क़दमों के निशान
सरसरा कर गुज़र जाता है झोंका
जैसे गुजरी हो तुम छू कर मुझे
हर फूल देता है खुशबू जंगली गुलाब की
खुरदरी हथेलियों की चिपचिपाहट
महसूस कराती है तेरी हाथों की तपिश
उड़ते हुए धुल के अंधड़ में
दिखता मिटता है तेरा अक्स अकसर
जानता हूँ तुम नहीं हो आस-पास कहीं
पर कैसे कह दूँ की तुम दूर हो ...
#जंगली_गुलाब