मुझे इक आईना ऐसा दिखा दे. हकीकत जो मेरी मुझको बता दे. नदी हूँ हद में रहना सीख लूंगी, जुदा सागर से तू मुझको करा दे. में गीली रेत का कच्चा घरोंदा, कहो लहरों से अब मुझको मिटा दे. बढ़ा के हाथ कोशिश कर रहा हूँ, ज़रा सा आसमाँ नीचे झुका दे. में तारा हूँ चमक बाकी रहेगी, अंधेरों में मेरा तू घर बना दे. महक फूलों की रोके ना रुकेगी, भले ही लाख फिर पहरे बिठा दे. में खुद से मिल नहीं पाया हूँ अब तक, मुझे तू ढूंढ कर मुझसे मिला दे.