कविताओं के दौर से निकल के पेश है आज एक गज़ल ... आशा है पसंद आएगी ...
चाहे मेरा जितना कद
पर बापू तू है बरगद
बंटवारे का खेल हुवा
खींची अपनी अपनी हद
बेटे ने बस पूछ लिया
अम्मा है कितनी गदगद
जूते चप्पल चलते हैं
कैसी है अपनी संसद
अंदर आना नामुमकिन
कैसी है तेरी सरहद
बहुत सुन्दर गज़ल......
जवाब देंहटाएंएक शेर मेरी और से भी :-)
मंदिर मस्जिद आजू-बाजू
लगता अमन की है आमद
सादर
अनु
बहुत अच्छा लगा पढकर.
जवाब देंहटाएंचाहे मेरा जितना कद
जवाब देंहटाएंपर बापू तू है बरगद
गहरी बात कहती सुन्दर गज़ल
हमने सबकी बात सुनी,
जवाब देंहटाएंइसकी भी होती है हद !
छोटी बह्र, बड़ी गजल... वाह!
जवाब देंहटाएंकहाँ तलक है उनकी ज़द
ढूंढ़ के हारा मैं बेहद
मुल्क सुखी सपना देखा
ऐसा भी होगा शायद. (गुस्ताखी माफ़ सर)
सादर.
बेटे ने बस पूछ लिया
जवाब देंहटाएंअम्मा है कितनी गदगद
दिल के करीब का लेखन...बहुत खूब...
बेटे ने बस पूछ लिया
जवाब देंहटाएंअम्मा है कितनी गदगद
ओह !! बड़ी मार्मिक पंक्ति है..
सारे ही शेर बढ़िया हैं..
वाह भाई वाह |
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें ||
बापू के सपनों का ये कैसा भारत !
जवाब देंहटाएंकाफी सुंदर गजल !
शुभकामनाएँ !
बेटे ने बस पूछ लिया
जवाब देंहटाएंअम्मा है कितनी गदगद ..
क्या कहने ..
थोड़े शब्दों में बहुत - कुछ कहती है यह ग़ज़ल.
उम्दा प्रस्तुति.
सत्यता दर्शाती, बहुत सुंदर रचना...!
जवाब देंहटाएं~बचपन हाथ से फिसल गया है...
बड़े भी खोजें अपना पद....~
-सादर !!!
छोटी बहर की बहुत उम्दा ग़ज़ल लिखी है आपने!
जवाब देंहटाएं✿⊱╮✿⊱╮✿⊱╮✿⊱╮✿⊱╮✿⊱╮
~~♥ मित्रतादिवस की शुभकामनाएँ ! ♥~~
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अंदर आना नामुमकिन
जवाब देंहटाएंकैसी है तेरी सरहद
waah bahut sundar gajal likhi aapne gahan umda bhav liye huye ..badhai aapko digambar ji
सचमुच हम भी हैं गदगद।
जवाब देंहटाएंबेटे ने बस पूछ लिया
जवाब देंहटाएंअम्मा है कितनी गदगद वाह बहुत खूब ...
आगे भी सबकी टिप्पणियाँ और अधिक सुन्दर कर गयी इस गजल को .....
बहुत दिनों के बाद पढ़ा
जवाब देंहटाएंअंतर्मन अब है गदगद
बेहतरीन गज़ल, वाह !!!!!!!!!!!!
Behad achhee gazal!
जवाब देंहटाएंBehad achhee gazal!
जवाब देंहटाएंबड़े प्रभावी ढंग से व्यक्त किया है स्वयं को।
जवाब देंहटाएंकविता से गज़ल में वापस वाह वाह क्या बात है.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर गज़ल और बढ़िया कटाक्ष भी.
अभिनन्दन.
बंटवारे का खेल हुवा
जवाब देंहटाएंखींची अपनी अपनी हद..bahut khoob waah!!
चाहे मेरा जितना कद
जवाब देंहटाएंपर बापू तू है बरगद
हर पंक्ति सुंदर ...अच्छी गजल है !
बेटे ने बस पूछ लिया
जवाब देंहटाएंअम्मा है कितनी गदगद
माँ तो ज़रा सी बात पर ही गदगद हो जाती हैं .... बहुत खूबसूरत गज़ल
छोटी बह्र में ग़ज़ल कहने की आपमें माहरत हासिल हो चुकी है .
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति .
सुंदर पंक्तियों से सजी भाव पूर्ण लाजबाब गजल,,बधाई,
जवाब देंहटाएंRECENT POST...: जिन्दगी,,,,
बहुत सुन्दर, नासवा जी!
जवाब देंहटाएंबेटे ने बस पूछ लिया
जवाब देंहटाएंअम्मा है कितनी गदगद
Kya baat...Bahut Sunder
बहुत खूब।
जवाब देंहटाएंचाहे मेरा जितना कद
जवाब देंहटाएंपर बापू तू है बरगद
बहुत खूब, थोड़ा हम भी जोड़ लेते है !
यहाँ उतना वो बलशाली है,
जितनी जिसकी मारक जद!
भद्र मांगे है कपड़ा रोटी,
कुटिल की है लम्बी मद !
प्रज्ञं सब बेकार घूम रहे,
टुच्चे पा रहे ऊँचे पद !
बेटे ने बस पूछ लिया
जवाब देंहटाएंअम्मा है कितनी गदगद..बहुत गहन, सुन्दर भाव..
बेहतरीन गजल है सर!
जवाब देंहटाएंसादर
बेहतरीन
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा गजल...
जवाब देंहटाएंबेटे ने बस पूछ लिया
जवाब देंहटाएंअम्मा है कितनी गदगद ..
क्या बात है ... बेहतरीन प्रस्तुति।
आभार
जूते चप्पल चलते हैं कैसी है अपनी संसद ....
जवाब देंहटाएंKya khub likhte hain aap bhi ...
Behatreen rachna ke liye shukriya..
हम तो आपके इस पहलू से अपरिचित थे दिगंबर भाई.. आप इस कदर हलकी-फुल्की गज़ल भी उतनी ही गहराई से कह लेते हैं जितनी आसानी से आपकी दीगर गज़लें होती हैं!!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब!!
बेटे ने बस पूछ लिया
जवाब देंहटाएंअम्मा कितनी है गद गद ।
क्या खूब लिखते हे सर ।
भाई दिगम्बर जी बहुत ही उम्दा गज़ल बधाई |
जवाब देंहटाएंसरहद के अन्दर डायरेक्ट आना मना है , अप्रत्यक्ष रूप से तो हजारों पहुँच चुके !
जवाब देंहटाएंबढ़िया ग़ज़ल !
चाहे मेरा जितना कद
जवाब देंहटाएंपर बापू तू है बरगद bahut sunder line.....
वाह! दिगम्बर जी,बहुत ही सुन्दर लिखा है आपने.
जवाब देंहटाएंसरल और गहन का अनूठा दर्शन.
यथार्थ को दर्शाती बेहतरीन गज़ल...
जवाब देंहटाएंकल 08/08/2012 को आपकी इस पोस्ट को नयी पुरानी हलचल पर लिंक किया जा रहा हैं.
जवाब देंहटाएंआपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
'' भूल-भुलैया देखी है ''
जूते चप्पल चलते हैं
जवाब देंहटाएंकैसी है अपनी संसद
जूते चप्पल चलते हैं
कैसी है अपनी संसद
बोंजाई (बोनसाई )लेके फिरते ,
सबके अपने हैं बरगद .
आज के राजनीतिक विद्रूप और कुरूपता की अच्छी खबर ली है .
ram ram bhai
मंगलवार, 7 अगस्त 2012
भौतिक और भावजगत(मनो -शरीर ) की सेहत भी जुडी है आपकी रीढ़ से
बहुत ही सुन्दर और सारगर्भित .....
जवाब देंहटाएंथोडे शब्दों में बहुत कुछ कह दिया.
जवाब देंहटाएंबूंद में सागर.
बहुत ही बढ़िया ...बधाई
जवाब देंहटाएंक्या खूब ग़ज़ल कही है.. हर पंक्ति गहन!
जवाब देंहटाएंjoote chappal chalte hai k c hai apni sansad...
जवाब देंहटाएंkitne kam shabdon ki gahri gazal....
खुबसूरत है ग़ज़ल।
जवाब देंहटाएंबेटे ने बस पूछ लिया
जवाब देंहटाएंअम्मा है कितनी गदगद
ये पंक्तियाँ आज के सामाजिक संबंधों की टीस को कह जाती हैं. बहुत बढ़िया ग़ज़ल दिगंबर जी.
नासवा जी नमस्कार...
जवाब देंहटाएंआपके ब्लॉग 'स्वप्न मेरे' से कविता भास्कर भूमि में प्रकाशित किए जा रहे है। आज 8 अगस्त को 'कैसी है तेरी सरहद...' शीर्षक के कविता को प्रकाशित किया गया है। इसे पढऩे के लिए bhaskarbhumi.com में जाकर ई पेपर में पेज नं. 8 ब्लॉगरी में देख सकते है।
धन्यवाद
फीचर प्रभारी
नीति श्रीवास्तव
लिए हुए सब पासे हैं ,
जवाब देंहटाएंकितने हैं शकुनी संसद .
भाई साहब काइरोप्रेक्टिक पर अब पूरी श्रृंखला चलेगी अगला आलेख होगा Women's Wellness /chiropractic bringing out the best in you /Any women suffering from gynecological problems needs a chiropractic examination .All sexual organs and organs of reproduction need a healthy nerve supply tofunction properly.
चाहे मेरा जितना कद
जवाब देंहटाएंपर बापू तू है बरगद
बंटवारे का खेल हुवा
खींची अपनी अपनी हद
बेटे ने बस पूछ लिया
अम्मा है कितनी गदगद
..........खुबसूरत ग़ज़ल।
सभी शेर बहुत बढ़िया, ये ख़ास लगे...
जवाब देंहटाएंचाहे मेरा जितना कद
पर बापू तू है बरगद
बंटवारे का खेल हुवा
खींची अपनी अपनी हद
आज के हालत देख शायद बापू ऊपर बैठ चुपचाप आसूं बहते होगें..
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया उम्दा प्रस्तुति .आभार
बहुत अच्छी अभिव्यक्ति .......
जवाब देंहटाएंसुंदर गजल !
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ !
ANDAR AANAA NAMUMKIN HAI
जवाब देंहटाएंKAESEE HAI TEREE SARHAD
WAH ! DIGAMBAR JI , KYA SAADAA
SHABDON KAA LIBAAS PAHNAAYA HAI AAPNE
BHAVON KO !! SUNDAR , ATI SUNDAR .
बंटवारे का खेल हुवा
जवाब देंहटाएंखींची अपनी अपनी हद
बहुत सुन्दर !
बहुत सुन्दर गज़ल
जवाब देंहटाएंछोटे छोटे लाइन , गंभीर भाव
जवाब देंहटाएंश्री कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएं--- शायद आपको पसंद आये ---
1. Auto Read More हैक अब ब्लॉगर पर भी
2. दिल है हीरे की कनी, जिस्म गुलाबों वाला
3. तख़लीक़-ए-नज़र
सुन्दर कटाक्ष
जवाब देंहटाएंअच्छी लगी गज़ल
जवाब देंहटाएं.नासवा साहब सालाना व्यापक चिकित्सा जांच में रीढ़ की जांच भी शामिल रखी जाए ताकि संभावित सब -लक-सेशंस (रीढ़ विक्षोभ /विरूपण )की जांच और तदनंतर समाधान मिल सके .
जवाब देंहटाएंछोटी मगर करारी गज़ल
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी ग़ज़ल...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंबेटे ने बस पूछ लिया
जवाब देंहटाएंअम्मा है कितनी गदगद
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ
शब्द शब्द अपने आप में भाव समेटे हुए
जवाब देंहटाएंशब्द शब्द अपने आप में भाव समेटे हुए
जवाब देंहटाएंशब्द शब्द अपने आप में भाव समेटे हुए
जवाब देंहटाएंशब्द शब्द अपने आप में भाव समेटे हुए
जवाब देंहटाएंकमाल की ग़ज़ल है...
जवाब देंहटाएंSimple and yet so beautiful :)
सुन्दर गज़ल..
जवाब देंहटाएंछोटी बहर की बेहतरीन ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंजूते चप्पल चलते हैं
जवाब देंहटाएंकैसी है अपनी संसद
अंदर आना नामुमकिन
कैसी है तेरी सरहद
waah bahut khoob, padhna man bhaya
shubhkamnayen
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