बूँद बूँद बर्फ पिघलती रही
ज़िंदगी अलाव सी जलती रही
चूड़ियों को मान के जंजीर वो
खुद को झूठे ख्वाब से छलती रही
है तेरी निगाह का ऐसा असर
पल दो पल ये साँस संभलती रही
मौसमों के खेल तो चलते रहे
धूप छाँव उम्र निकलती रही
गम कभी ख़ुशी भी मिली राह में
कायनात शक्ल बदलती रही
रौशनी ही छीन के बस ले गए
आस फिर भी आँख में पलती रही
ज़िंदगी अलाव सी जलती रही
चूड़ियों को मान के जंजीर वो
खुद को झूठे ख्वाब से छलती रही
है तेरी निगाह का ऐसा असर
पल दो पल ये साँस संभलती रही
मौसमों के खेल तो चलते रहे
धूप छाँव उम्र निकलती रही
गम कभी ख़ुशी भी मिली राह में
कायनात शक्ल बदलती रही
रौशनी ही छीन के बस ले गए
आस फिर भी आँख में पलती रही
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