स्वप्न मेरे: गुनाह
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रविवार, 19 फ़रवरी 2023

मैं इस बगल गया ये सनम उस बगल गया.

आसान तो नहीं था मगर वो बदल गया.
इक शख्स था गुनाह में शामिल संभल गया.
 
कुछ ख़्वाब थे जो दिन में हकीक़त न बन सके,   
उस रात उँगलियों से मसल कर निकल गया.
 
पत्थर में आ गई थी फ़सादी की आत्मा,
साबुत सरों को देख के फिर से मचल गया.
 
जिसने हमें उमीद के लश्कर दिखाए थे,
वो ज़िन्दगी के स्वप्न दिखा कर मसल गया.
 
सूरज थका-थका था उसे नींद आ गई,
साग़र की बाज़ुओं में वो झट से पिघल गया.
 
जब इस बगल था इश्क़ तो पैसा था उस बगल,  
मैं इस बगल गया ये सनम उस बगल गया.

शुक्रवार, 25 मार्च 2016

देखो परख लो सच सभी इस प्यार से पहले ...

हो दिल्लगी ना, सोच लो इज़हार से पहले
देखो परख लो सच सभी इस प्यार से पहले

अपने गुनाहों को कभी भी मान मैं लूँगा
पर हो खुले में पैरवी इकरार से पहले

टूटा अगर तो जुड़ न पाएगा कभी रिश्ता
सोचो हज़ारों बार तुम व्यवहार से पहले

जो दिल में है सब खुल के उनको बोलने तो दो
मौका जरूरी है किसी इनकार से पहले

यूँ ही नहीं सर टेकना गर देवता भी हो
ठोको बजा कर देख लो सत्कार से पहले

तैयार हूँ मैं हारने को जंग दुनिया की
तुम जीत निष्चित तो करो इस हार से पहले