सुनों छोड़ो चलो
अब उठ भी जाएँ
कहीं बारिश से
पहले घूम आएँ
यकीनन आज फिर इतवार होगा
उनीन्दा दिन है, बोझिल सी हवाएँ
हवेली तो नहीं पर
पेड़ होंगे
चलो जामुन वहाँ
से तोड़ लाएँ
नज़र भर हर नज़र
देखेगी तुमको
कहीं काला सा इक
टीका लगाएँ
पतंगें तो उड़ा
आया है बचपन
चलो पिंजरे से अब
पंछी उड़ाएँ
कहरवा दादरा की ताल
बारिश
चलो इस ताल से हम
सुर मिलाएँ
अरे “शिट” आखरी
सिगरेट भी पी ली
ये बोझिल रात अब
कैसे बिताएँ
वाह
जवाब देंहटाएंहर शेर लाजवाब।
बहुत आभार
हटाएंबहुत खूब, लाजवाब
जवाब देंहटाएंशुक्रीया हिमकर जी ...
हटाएंबहुत सुन्दर आदरणीय
जवाब देंहटाएंशुक्रिया अनीता जी ...
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना मंगलवार 26 मार्च 2019 के लिए साझा की गयी है
जवाब देंहटाएंपांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
बहुत आभार यशोदा जी ...
हटाएंपतंगें तो उड़ा आया है बचपन
जवाब देंहटाएंचलो पिंजरे से अब पंछी उड़ाएँ....क्या बात है सर ...हर एक शेर दमदार और खूबसूरत ....
शुक्रिया योगी जी ...
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (26-03-2019) को "कलम बीमार है" (चर्चा अंक-3286) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार आपका शास्त्री जी ...
हटाएंबहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल आदरणीय
जवाब देंहटाएंआभार आपका ...
हटाएंक्या बात है सर। हमेशा की तरह गजब।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया वीरेंद्र जी ...
हटाएंसभी शेर सजीव ... लाजवाब
जवाब देंहटाएंआभार वर्मा जी ...
हटाएंवाह! क्या प्रयोग है! लाज़वाब!! सुभान अल्लाह!!!
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया विश्वमोहन जी ...
हटाएंकहरवा दादरा की ताल बारिश
जवाब देंहटाएंचलो इस ताल से हम सुर मिलाएँ
बहुत खूब....., लाजबाब...., सादर नमस्कार
आभार कामिनी जी
हटाएंलाजवाब...., हर अशआर एक से बढ़ कर एक । आखिरी शेर में 'शिट' का प्रयोग...., अचंभित कर गया:-)
जवाब देंहटाएंआम बोली में आजकल बहुत इस्तेमाल होता है ये शब्द ... और कोशिश कर के जितना हो सके आम बोलचाल में लिखना चाहता हूँ ... आभार आपका
हटाएंआपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन फ़ारुख़ शेख़ और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
जवाब देंहटाएंआभार आपका
हटाएंयकीनन आज फिर इतवार होगा
जवाब देंहटाएंउनीन्दा दिन है, बोझिल सी हवाएँ
कमाल की गजल...लाजवाब शेरों से सजी...
वाह!!!
हमेशा की तरह बहुत ही लाजवाब
जी शुक्रिया ...
हटाएं
जवाब देंहटाएंहवेली तो नहीं पर पेड़ होंगे
चलो जामुन वहाँ से तोड़ लाएँ
नज़र भर हर नज़र देखेगी तुमको
कहीं काला सा इक टीका लगाएँ
बहुत ही प्यारी गज़ल आदरणीय दिगम्बर जी | जीवन के छोटे छोटे खुशियों भरे लम्हों को बड़ी सादगी और निश्छलता से समेटती रचना के लिए सिर्फ वाह ही कहना उचित है | सादर शुभकामनायें इस तरह की सकारात्मकता से भरपूर रचनाओं के लिए |
आपकी पारखी नज़र का आभार है बहुत ...
हटाएंवाह!!बहुत ही उम्दा !!
जवाब देंहटाएंशुक्रिया जी ...
हटाएंउव्वाहहहह
जवाब देंहटाएंसफल हुआ प्रयोग..
और भी किए जाएँगे आगे..
साधुवाद..
सादर....
शुक्रिया दिग्विजय जी ...
हटाएंप्रयोग जारी रहने ही चाहियें ...
बहकते से खूबसूरत मनोभाव !
जवाब देंहटाएंआभार आपका ...
हटाएंLajwab...hameaha ki tarah
जवाब देंहटाएंशुक्रिया नीतू जी ...
हटाएंयकीनन आज फिर इतवार होगा
जवाब देंहटाएंउनीन्दा दिन है, बोझिल सी हवाएँ
...वाह...बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल
शुक्रिया कैलाश जी
हटाएंक्या बात है ! हर पल हर लम्हे को जीने का सबक सिखाती बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल ! आपका अंदाज़ हमेशा निराला होता है नासवा जी ! बहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंबहुत आभार साधना जी
हटाएंiAMHJA
जवाब देंहटाएंकमाल की ग़ज़ल। शानदार।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया नितीश जी ...
हटाएंकविता का हर नाज़ुक कदम ज़िंदगी के कई लम्हों को नाप रहा है. यह तो बहुत ही सुरीला है.
जवाब देंहटाएंकहरवा दादरा की ताल बारिश
चलो इस ताल से हम सुर मिलाएँ
बहुत आभार आपका ...
हटाएंअलहदा...हर अश'आर का अपना अर्थ है बेहद उम्दा .सामन्य रचनाओं से अलग प्रभावशाली आकर्षित करती है आपकी रचनाएँ सर..हमेशा की तरह बहुत सुंदर👌👌👍👍
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया श्वेता जी ...
हटाएंअति उत्तम सृजन दिगम्बर जी।
जवाब देंहटाएंआभार आपका
हटाएंआदरणीय दिगंबर सर, ग़ज़ल में नए प्रयोगों के करने से आपकी रचनाएँ हमेशा सबसे अलग हटकर ताजगी का अहसास कराती है। आपकी हर रचना मेरे reading list में आते ही पढ़ लेती हूँ। पिछले कुछ समय से टिप्पणियाँ नहीं दे पाई। अब पुनः नियमित होने की कोशिश है। मेरे ब्लॉग से जुड़ने के लिए भी तहेदिल से शुक्रिया आपका।
जवाब देंहटाएंजीवन के उतार चढ़ाव में कई बार इस होता है ... सब कार्य जीवन में ज़रूरी होते हैं ... आपने समय निकाला ... आपका आभार है बहुत बहुत ...
हटाएंहमेशा की तरह बहुत सुंदर रचना, नासवा जी।
जवाब देंहटाएंआभार है आपका ज्योति जी ...
हटाएंन्याय व्यवस्था तक की सारी पोस्टें एक साथ पढ़ डालीं . मन में एक ही सवाल क्या आप गज़ल के साथ ही रहते हैं हर वक्त . हर दूसरे दिन आप एक कमाल गज़ल लिखकर देते हैं . अद्भुत . न्याय व्यवस्था आपकाी अलग तरह की रचना है पर बहुत अर्थपूर्ण और विशिष्ट . नमन है आपकी लेखनी को .उर्वर भावभूमि को ..
जवाब देंहटाएंगिरिजा जी ये आपका प्रेम है जो मेरी साधारण सी लेखनी को मान दे रही हैं आप ... आपका आभारी हूँ इस प्रोत्साहन के लिए ...
हटाएंscience
जवाब देंहटाएंscience class 10th
http://tocoloring.com
http://eshbrooklyn.com
http://pmanonline.net
http://tattoobro.com
http://vivalahova.com
http://malacatanestereo.com
http://johnbieniewiczmemorial.com
http://jarrettscastle.com
http://hincheyforcongress.org
http://aimfitbody.com
science direct
science day
science project
science and technology
science day 2021
EEE8DD288E
जवाब देंहटाएंTakipçi Satın Al
Whiteout Survival Hediye Kodu
Google Yorum Satın Al
3D Car Parking Para Kodu
101 Okey Vip Hediye Kodu