तेरी
हर शै मुझे भाए, तो
क्या वो इश्क़ होगा
मुझे
तू देख शरमाए, तो
क्या वो इश्क़ होगा
हवा
में गूंजती है जो हमेशा इश्क़ बन कर
वो
सरगम सुन नहीं पाए तो क्या वो इश्क़ होगा
पिए
ना जो कभी झूठा, मगर
मिलने पे अकसर
गटक
जाए मेरी चाए, तो
क्या वो इश्क़ होगा
सभी
से हँस के बोले, पीठ
पीछे मुंह चिढ़ाए
मेरे
नज़दीक इतराए, तो
क्या वो इश्क़ होगा
हज़ारों
बार हाए, बाय, उनको बोलने पर
पलट
के बोल दे हाए, तो
क्या वो इश्क़ होगा
सभी
रिश्ते, बहू, बेटी, बहन, माँ, के निभा कर
मेरे
पहलू में इठलाए, तो
क्या वो इश्क़ होगा
तुझे
सोचा नहीं होता अभी पर यूँ अचानक
नज़र
आएं तेरे साए तो क्या वो इश्क़ होगा
हवा
मगरिब, मैं
मशरिक, उड़
के चुन्नी आसमानी
मेरी
जानिब चली आए तो क्या वो इश्क़ होगा
उसे
छू कर, मुझे
छू कर, कभी
जो शोख तितली
उड़ी
जाए, उड़ी
जाए, तो
क्या वो इश्क़ होगा
तेरी
पाज़ेब, बिन्दी, चूड़ियाँ, गजरा, अंगूठी
जिसे
देखूं वही गाए, तो
क्या वो इश्क़ होगा
मुझे
तू एक टक देखे, कहीं
खो जाए, पर
फिर
अचानक
से जो मुस्काए, तो
क्या वो इश्क़ होगा
वाह.. बहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंआभार है आपका ...
हटाएंयूँ हर बात पे ज़िक्र उनका
जवाब देंहटाएंयकीनन ये इश्क़ ही होगा...
बेहद खूबसूरत रुमानी ग़ज़ल सर...वाहह👌👌
शुक्रिया श्वेता जी ...
हटाएंवाह क्या बात है।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया सर ...
हटाएंमुझे तू एक टक देखे, कहीं खो जाए, पर फिर
जवाब देंहटाएंअचानक से जो मुस्काए, तो क्या वो इश्क़ होगा
वाह !!! बहुत खूब.....,सादर नमस्कार
आभार आपका ...
हटाएंवाह! बहुत खूब ..., अति सुन्दर ।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया मीना जी ...
हटाएंक्या बात है क्या बात है सर! यक़ीनन इश्क ही होगा।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया जी ...
हटाएंतुझे सोचा नहीं होता अभी पर यूँ अचानक
जवाब देंहटाएंनज़र आएं तेरे साए तो क्या वो इश्क़ होगा
हाँ ! इश्क होगा... यकीनन इश्क ही होगा...और कमाल का इश्क होगा...
वाह वाह....बहुत ही लाजवाब।
आभार ग़ज़ल पसंद आई आपको ...
हटाएंवाह ! यकीनन इश्क होगा और इश्क के सिवा कुछ भी न होगा..वैसे भी होली का मौसम है जिसमें हर दिल कृष्ण और राधा बन जाता है...शुभकामनायें रंगों के उत्सव की
जवाब देंहटाएंजी ... सच कहा है आपने ...
हटाएंराधा कृष्ण तो प्रथम वाहक हैं प्रेम के ...
वाह बहुत ही शानदार
जवाब देंहटाएंशुक्रिया जी ...
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंजी आभार आपका ...
हटाएंइतनी उम्दा लेखन हो तो अवश्य ही इश्क होगा, आदरणीय नसवा जी।
जवाब देंहटाएंजेहन में इश्क का ही बोलबाला हो चला है इस रचना को पढ़कर, उपर से होली के इश्क का मौसम। बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएं ।
होली और इश्क में तो वैसे भी चोली दमन का साथ है ...
हटाएंबहुत आभार आपका पुरुषोत्तम जी ...
बहुत ख़ूब मित्र !
जवाब देंहटाएंसवालों में इतना वक़्त ज़ाया कर दिया. अब तक तो हम आपकी बारात में शामिल होकर अपने घर वापस भी आ गए होते.
सर पूरी जिंदगी का सवाल होता है ... पहले ठोक बजा के पक्का तो कर लिया जाए इश्क़ है भी की नहीं ...
हटाएंबहुत आभार आपका ...
इश्क़ की गजब खुशबू।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया जी ...
हटाएंएक के बाद एक हर पंक्ति गुदगुदाती चलती है. बातें सवालिया सही लेकिन इश्क़िया भी तो है. बहुत ही उम्दा रचना.
जवाब देंहटाएंआपके अनुमोदन का आभार है ... होली के आसपास इश्किया तो सब कुछ हो जाता है ...
हटाएंबहुत सुंदर रचना....आप को होली की शुभकामनाएं...
जवाब देंहटाएंआभार आपका ...
हटाएंआपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन बुरा मानना हो तो खूब मानो, होली है तो है... ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
जवाब देंहटाएंआभार आपका राजा कुमारेन्द्र जी ...
हटाएंबहुत खुबसुरत रचना, दिगंबर जी।
जवाब देंहटाएंआभार ज्योति जी ...
हटाएंवाह बहुत ही सुन्दर
जवाब देंहटाएंआभार रीना जी ...
हटाएंइश्क से लबरेज़ सुन्दर ग़ज़ल.
जवाब देंहटाएंशुक्रिया राकेश जी ...
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बहुत आभार सम्पादक जी ... यदि ऐसा विचार आया तो जरूर संपर्क करूँगा ... आपका आभार यहाँ तक आने के लिए ...
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