इश्क़ लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
इश्क़ लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
मंगलवार, 16 नवंबर 2021
सोमवार, 13 जुलाई 2020
गई है उठ के तकिये से अभी जो रात बीती है ...
कहीं खामोश है कंगन,
कहीं पाज़ेब टूटी है
सिसकता है कहीं तकिया,
कहीं पे रात रूठी है
अटक के रह गई है नींद पलकों के मुहाने पर
सुबह की याद में बहकी हुई इक शाम डूबी है
यहाँ कुछ देर बैठो चाय की दो चुस्कियाँ ले लो
यहीं से प्रेम की ऐ. बी. सी. पहली बार सीखी है
न क्यों सब इश्क़ के बीमार मिल कर के बहा आएँ
इसी सिन्दूर ने तो आशिकों की जान लूटी है
उसे भी एड़ियों में इश्क़ का काँटा चुभा होगा
मेरी भी इश्क़ की पगडंडियों पे बाँह छूटी है
धुंवे में अक्स तेरा और भी गहरा नज़र आए
किसी ने साथ सिगरेट के तुम्हारी याद फूँकी है
झमाँ झम बूँद बरसी, और बरसी, रात भर बरसी
मगर इस प्रेम की छत आज भी बरसों से सूखी है
बहाने से बुला लाया जुनूने इश्क़ भी तुमको
खबर सर टूटने की सच कहूँ बिलकुल ही झूठी है
किसी की बाजुओं में सो न जाए थक के ये फिर से
गई है उठ के तकिये से अभी जो रात बीती है
बुधवार, 12 जून 2019
मुहब्बत की है बस इतनी कहानी ...
अपने शहर की खुशबू भी कम नहीं होती ... अभी लौटा हूँ अपने कर्म क्षेत्र ... एक गज़ल आपके नाम ...
झुकी पलकें
दुपट्टा आसमानी
कहीं खिलती तो
होगी रात रानी
वजह क्या है तेरी खुशबू की जाना
कोई परफ्यूम या चिट्ठी पुरानी
मिटा सकते नहीं पन्नों
से लेकिन
दिलों से कुछ
खरोंचे हैं मिटानी
लड़ाई, दोस्ती फिर
प्रेम पल पल
हमारी रोज़ की है
जिंदगानी
अभी से सो रही हो
थक गईं क्या
अभी तो ढेर बातें
हैं बतानी
यहाँ राधा है
मीरा कृष्ण भी है
यहाँ की शाम है
कितनी सुहानी
हंसी के बीच
दांतों का नज़ारा
मुहब्बत की है बस
इतनी कहानी
सोमवार, 18 मार्च 2019
मेरे पहलू में इठलाए, तो क्या वो इश्क़ होगा ...
तेरी
हर शै मुझे भाए, तो
क्या वो इश्क़ होगा
मुझे
तू देख शरमाए, तो
क्या वो इश्क़ होगा
हवा
में गूंजती है जो हमेशा इश्क़ बन कर
वो
सरगम सुन नहीं पाए तो क्या वो इश्क़ होगा
पिए
ना जो कभी झूठा, मगर
मिलने पे अकसर
गटक
जाए मेरी चाए, तो
क्या वो इश्क़ होगा
सभी
से हँस के बोले, पीठ
पीछे मुंह चिढ़ाए
मेरे
नज़दीक इतराए, तो
क्या वो इश्क़ होगा
हज़ारों
बार हाए, बाय, उनको बोलने पर
पलट
के बोल दे हाए, तो
क्या वो इश्क़ होगा
सभी
रिश्ते, बहू, बेटी, बहन, माँ, के निभा कर
मेरे
पहलू में इठलाए, तो
क्या वो इश्क़ होगा
तुझे
सोचा नहीं होता अभी पर यूँ अचानक
नज़र
आएं तेरे साए तो क्या वो इश्क़ होगा
हवा
मगरिब, मैं
मशरिक, उड़
के चुन्नी आसमानी
मेरी
जानिब चली आए तो क्या वो इश्क़ होगा
उसे
छू कर, मुझे
छू कर, कभी
जो शोख तितली
उड़ी
जाए, उड़ी
जाए, तो
क्या वो इश्क़ होगा
तेरी
पाज़ेब, बिन्दी, चूड़ियाँ, गजरा, अंगूठी
जिसे
देखूं वही गाए, तो
क्या वो इश्क़ होगा
मुझे
तू एक टक देखे, कहीं
खो जाए, पर
फिर
अचानक
से जो मुस्काए, तो
क्या वो इश्क़ होगा
सदस्यता लें
संदेश (Atom)