स्वप्न मेरे: डूबना
डूबना लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
डूबना लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

मंगलवार, 21 अक्तूबर 2014

मिटूं तो घर की मिट्टी में बिखरना ...

हसीनों की निगाहों से गुज़रना
है मुश्किल डूब के फिर से उभरना

वो जिसने आँख भर देखा नहीं हो
उसी के इश्क में बनना संवरना

तुम्हें जो टूटने का शौंक है तो
किसी के ख्वाब में फिर से उतरना

किसी कागज़ की कश्ती के सहारे
न इस मझधार में लंबा ठहरना

समझदारी कहाँ है पंछियों के
बिना ही बात पंखों को कुतरना

रहूँ चाहे कहीं पर दिल ये मांगे
मिटूं तो घर की मिट्टी में बिखरना