रेशमी एहसास ...
हरे पहाड़ों की चोटियों से
उतरते सफ़ेद बादल
रुक जाते हैं बल खाती काली सड़क के सीने पर
ललक है तुम्हें छूने की
इतना करीब से
की समेट सकें तेरी साँसों की महक उम्र भर के लिए
वो जानते हैं झाँकोगी तुम खुली खिड़की से
छुओगी नर्म हथेली से वो रेशमी एहसास ...
ठीक उसी वक़्त मैं भी हो जाऊँगा धुँवा-धुँवा
घुल जाऊँगा बादलों की नर्म छुवन में
सुन प्रकृति की अप्रतिम रचना ... मेरे जंगली गुलाब
छू के देखना अपने माथे की चन्द लकीरों उस पल
नमी की बूँद में महसूस करोगी मुझको
बरबस ही कालिदास का मेघदूत स्मरण आ गया आपकी रचना पढ़कर। प्रकृति का सुंदर चित्रात्मक वर्णन !
जवाब देंहटाएंवाह
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 08 सितंबर 2022 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
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ललक है तुम्हें छूने की
जवाब देंहटाएंइतना करीब से
की समेट सकें तेरी साँसों की महक उम्र भर के लिए
...
बहुत सुन्दर मानवीय अहसास
ठीक उसी वक़्त मैं भी हो जाऊँगा धुँवा-धुँवा
जवाब देंहटाएंघुल जाऊँगा बादलों की नर्म छुवन में.....
और वास्तव में यही -रेशमी एहसास है
रेशमी एहसास .....रेशमी छुअन और ये जंगली गुलाब ..... लाजवाब
जवाब देंहटाएंनमी की बूँद में महसूस करोगी मुझको .....हो गया अहसास!!!
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