ढूँढते हो क्यों पुराने आईने चटके हुए.
और कुछ लम्हे किसी दीवार पे अटके हुए.
हम है ठहरी झील की मानिन्द गुज़रे वक़्त की,
लोग आते है किसी की याद में भटके हुए.
डूबना तो था हमारे भाग्य में लिक्खा हुआ,
हम तो वो हैं तिनके से भी खींच के झटके हुए.
एक आवारा नदी से बह रहे थे दूर तक,
वक़्त के बदलाव में तालाब हम घट के हुए.
उगते सूरज को हमेशा साथ रखते हैं सभी,
हम हैं ढलती शाम जैसे धूप से पटके हुए.
नाप में छोटा बड़ा होना लिखा तक़दीर में,
हम क़मीज़ों से हैं अक्सर शैल्फ़ में लटके हुए.
क्या कहूँगा सोच कर खोला नहीं दर फिर कभी,
पर न जाने घर पे कितनी बार ही खटके हुए.
वाह
जवाब देंहटाएंवाह्ह बहुत शानदार ,लाज़वाब गज़ल सर।
जवाब देंहटाएंसादर।
-------
जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना मंगलवार 9 सितंबर २०२५ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
व्वाहहहह
जवाब देंहटाएंआभार
वंदन
बहुत सुंदर 🙏
जवाब देंहटाएंबेहतरीन!क्या बात है ? बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत खूब!
जवाब देंहटाएंबेहद उम्दा ग़ज़ल
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंcomprar carta
comprar carnet
Führerschein kaufen
buy driver licences
Führerschein kaufen mpu
kup prawo jazdy
kopa korkort
वाह!!!!
जवाब देंहटाएंबहुत ही लाजवाब
उगते सूरज को हमेशा साथ रखते हैं सभी,
हम हैं ढलती शाम जैसे धूप से पटके हुए.
👌🙏
Fen derslerine çalışmak isteyen öğrenciler için fenbilimleri.net büyük bir kolaylık sunar. Görselli anlatımlar, çalışma kağıtları ve yazılı soruları sayesinde derslere hazırlık daha verimli hâle gelir.
जवाब देंहटाएंFen bilimleri net, öğretmenlerin kaynak bulmasını hızlandırırken, ücretsiz fen bilimleri içerikleriyle eğitimde fırsat eşitliği yaratır.
Bahut sundar!
जवाब देंहटाएं