और दिल से कभी नहीं जाती.
जीते रहते हैं, कहते रहते हैं,
ये जुदाई सही नहीं जाती.
नींद, डर, ख्व़ाब, आते-जाते हैं,
मौत आ कर कभी नहीं जाती.
आँख से हाँ लबों से ना, ना, ना,
ये अदा हुस्न की नहीं जाती.
राज़ की बात ऐसी होती है,
हर किसी से जो की नहीं जाती.
शायरी छोड़ कर ज़रा सोचो,
मय निगाहों से पी नही जाती.
तट पे गंगा के आजमाएंगे,
कब तलक तिश्नगी नहीं जाती.
ये जुदाई सही नहीं जाती.
नींद, डर, ख्व़ाब, आते-जाते हैं,
मौत आ कर कभी नहीं जाती.
आँख से हाँ लबों से ना, ना, ना,
ये अदा हुस्न की नहीं जाती.
राज़ की बात ऐसी होती है,
हर किसी से जो की नहीं जाती.
शायरी छोड़ कर ज़रा सोचो,
मय निगाहों से पी नही जाती.
तट पे गंगा के आजमाएंगे,
कब तलक तिश्नगी नहीं जाती.
वाह
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