बिस्तर में अटकी कुछ गीली सलवटें
आँखों में उतरे उदास लम्हों का घना जंगल
अच्छा हुआ झमाझम बरसे बादल ...
नहीं तो कहाँ मुमकिन था
बरसों से जमें दर्द के मैल का निकल पाना
सोंधी मिट्टी की ताज़ा ख़ुशबू लिए झरने का लौट आना
काश गहरे अवसाद में जाने से पहले समझ सकें
हर रात की सुबह निश्चित है
उदास जंगल की उलझी लताओं के पीछे
चमचमाता है नीला आसमान
जहाँ खिली होती हैं सूरज की सतरंगी किरणें
किसी अजनबी की राह तकती
किसी मासूम प्रेम की इंतज़ार में
आस पास ही खिला होता है जंगली गुलाब भी ...
वाह
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंअत्यन्त भावयुक्त रचना...पास ही होता है जंगली गुलाब...मृग कस्तूरी की तरह...सुन्दर अभिव्यक्ति...👏👏👏
जवाब देंहटाएंगहरे बोध से उपजी सुंदर मार्मिक रचना !
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 13 दिसंबर 2023 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंअथ स्वागतम शुभ स्वागतम।
लाजवाब रचना
जवाब देंहटाएंकाश गहरे अवसाद में जाने से पहले समझ सकें
जवाब देंहटाएंहर रात की सुबह निश्चित है
बहुत खूब,सादर नमन आपको
बहुत ही खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंअच्छा हुआ झमाझम बरसे बादल ...
जवाब देंहटाएंनहीं तो कहाँ मुमकिन था
बरसों से जमें दर्द के मैल का निकल पाना
गहन भावपूर्ण..अति सुन्दर सृजन ।
अच्छा हुआ झमाझम बरसे बादल ...
जवाब देंहटाएंनहीं तो कहाँ मुमकिन था
बरसों से जमें दर्द के मैल का निकल पाना
सोंधी मिट्टी की ताज़ा ख़ुशबू लिए झरने का लौट आना...अद्भुत और प्रशंसनीय