स्वप्न मेरे: जो हाथ कभी हमसे मरोड़ा नहीं गया ...

शनिवार, 2 दिसंबर 2023

जो हाथ कभी हमसे मरोड़ा नहीं गया ...

ख़ुद से जो हुआ प्रेम तो छोड़ा नहीं गया.
इक आईना था हमसे जो तोड़ा नहीं गया.

बेहतर तो यही होगा के खुद को समेट लें,
पथ तेज़ बवंडर का जो मोड़ा नहीं गया.

यह इश्क़ अधूरा ही न रह जाए उम्र भर,
नदिया को समुन्दर से जो जोड़ा नहीं गया.

टूटे तो न जुड़ पाएँगे ता-उम्र फिर कभी,
रिश्तों को अगर वक़्त पे जोड़ा नहीं गया.

मुश्किल है समझना के है आरम्भ या है अंत,
इस छोर से उस छोर जो दौड़ा नहीं गया.

मुँडेर पे बैठा जो चहकता था रात दिन,
पंछी था फ़क़त दिल से निगोड़ा नहीं गया.

मुमकिन है दिखेगा कभी गर्दन के आस-पास,
जो हाथ कभी हमसे मरोड़ा नहीं गया.

14 टिप्‍पणियां:

  1. टूटे तो न जुड़ पाएँगे ता-उम्र फिर कभी,
    रिश्तों को अगर वक़्त पे जोड़ा नहीं गया.
    बहुत सटीक...
    मुश्किल है समझना के है आरम्भ या है अंत,
    इस छोर से उस छोर जो दौड़ा नहीं गया.
    वाह!!!!
    क्या बात...
    हमेशा की तरह बहुत ही लाजवाब।

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  2. बेहतर तो यही होगा के खुद को समेट लें,
    पथ तेज़ बवंडर का जो मोड़ा नहीं गया.
    बहुत ख़ूब !! लाजवाब ग़ज़ल ।

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  3. प्रेम की पहली शर्त परिभाषित कर दी...स्वयं से प्रेम प्रथम...❤️

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  4. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 04 दिसम्बर 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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  5. टूटे तो न जुड़ पाएँगे ता-उम्र फिर कभी,
    रिश्तों को अगर वक़्त पे जोड़ा नहीं गया.

    बहुत खूब, एक एक शेर लाजबाव, सादर नमन सर🙏

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  6. अंतिम शेर जरा अटपटा सा लगा, बाक़ी सभी बेहतरीन हैं

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  7. हमेशा की तरह बहुत ही लाजबाब प्रस्तुति, दिगंबर भाई।

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  8. टूटे तो न जुड़ पाएँगे ता-उम्र फिर कभी,
    रिश्तों को अगर वक़्त पे जोड़ा नहीं गया....शानदार अल्फ़ाज़

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