स्वप्न मेरे: वज़ह प्रेम की …

सोमवार, 6 नवंबर 2023

वज़ह प्रेम की …

उँगलियों में चुभे कांटे
इसलिए भी गढ़े रहने देता हूँ
की हो सके एहसास खुद के होने का

हालाँकि करता हूँ रफू ... जिस्म पे लगे घाव
फिर भी दिन है की रोज टपक जाता है ज़िन्दगी से

उम्मीद घोल के पीता हूँ हर शाम
कि बेहतर है सपने टूटने से
उम्मीद के हैंग-ओवर में रहना


सिवाए इसके की खुदा याद आता है
वज़ह तो कुछ भी नहीं तुम्हें प्रेम करने की

और वजह जंगली गुलाब के खिलने की ...?
ये कहानी फिर कभी ...

9 टिप्‍पणियां:

  1. अत्यंत भावपूर्ण अभिव्यक्ति सर।
    सादर।
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    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना मंगलवार ७ नवम्बर २०२३ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  2. वाह !!
    अति सुन्दर भावाभिव्यक्ति ।

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  3. उम्मीद घोल के पीता हूँ हर शाम
    कि बेहतर है सपने टूटने से
    उम्मीद के हैंग-ओवर में रहना
    वाह!!!!
    लाजवाब👌👌🙏🙏

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  4. उम्मीद का हैंगओवर...क्या बात है...👌👌👌

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