स्वप्न मेरे: उत्तर है इसके हल में ...

शनिवार, 30 सितंबर 2023

उत्तर है इसके हल में ...

क्यों अटके बीते पल में.
जब सब आज है या कल में.

रब, रिश्ते, मय, इश्क़, नज़र,
फँस जाओगे दलदल में.

ठुठ्ररी ठुठ्ररी बैठी है,
रात सिकुड़ कर कम्बल में.

किसने कैसे बूँद रखी,
नील गगन के बादल में.

फूट रही थी गुमसुम सी,
एक जवानी पिंपल में.

जुगनू बन कर धूप छुपी,
काली रात के आँचल में.

खामोशी ख़ामोश रही,
सन्नाटों की हलचल में.

धूल सी यादें चिपकी हैं,
घर की हर इक चप्पल में.

मैल उतारी यूँ ग़म की,
मल मल कर शावर जल में.

जीवन सपने हाँ इक तितली,
उत्तर है इसके हल में.

10 टिप्‍पणियां:

  1. क्यों अटके बीते पल में.
    जब सब आज है या कल में. यर्थाथ बोलती कविता

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  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 02 अक्टूबर 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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  3. धूल सी यादें चिपकी हैं,
    घर की हर इक चप्पल में.
    वाह ! सुन्दर रचना !

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  4. ताज़गी से सराबोर . धन्यवाद - एक बूँद और एक जुगनू के लिए.

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  5. फूट रही थी गुमसुम सी,
    एक जवानी पिंपल में.

    जुगनू बन कर धूप छुपी,
    काली रात के आँचल में.
    बहुत सुन्दर पंक्तियाँ 🙏

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