स्वप्न मेरे: माँ …

सोमवार, 25 सितंबर 2023

माँ …

 वक़्त के साथ हर चीज़ धुंधली होती जाती है पर कुछ यादें ऐसी होती हैंजो जीवन भर साथ चलती हैं जैसे आपकी साँस… माँ भी उन्हीं में से एक है … या अगर सच कहूँ तो शायद वही एक है जो रहती है बातों मेंमिसालों मेंसोच मेंखाने मेंघूमने में … और भी  जाने किस-किस में … लगता नहीं आज ग्यारह साल हो गए तुझे गए … पर लगने से क्या होता हैहोतो गए हैं … समय पर किसका बस … 

धूप देह पर मद्धम-मद्धम होती है.

माँ की डाँट-डपट भी मरहम होती है.


आशा और निराशा पल-पल जीवन-रत,

माँ तो माँ है हर पल हर-दम होती है.


माँ का शीतल आँचल अंबर सा गहरा,

सुख-दुख मौसम शोला-शबनम होती है.


माँ ने उँगली पकड़ी तब कुछ समझ सके,

वरना राह सरल भी दुर्गम होती है.


आशाएँ-उम्मीदेंझट-पट बो देगी,

माँ हर पथ पर लय-सुर-सरगम होती है.


वक़्त पे खाना-पीनाअध्यनतैयारी,

माँ ख़ुद चलता-फिरता सिस्टम होती है.


ध्येय-समर्पणनित नव-चिंतनआजीवन,

कक्षा माँ की स्वयं-समागम होती है.

8 टिप्‍पणियां:

  1. अनमोल श्रद्धॉंजलि माँ के लिए !!

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  2. सचमुच माँ तो माँ होती हैं। माँ शब्द ही स्वयं में संपूर्ण है। भावपूर्ण रचना सर।
    सादर।
    ;-----
    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना मंगलवार २६ सितंबर २०२३ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  3. आशाएँ-उम्मीदें, झट-पट बो देगी,

    माँ हर पथ पर लय-सुर-सरगम होती है.

    वाह!!!



    वक़्त पे खाना-पीना, अध्यन, तैयारी,

    माँ ख़ुद चलता-फिरता सिस्टम होती है.

    अत्यंत भावपूर्ण एवं सटीक
    माँ मरहम सी...
    सहुत ही लाजवाब
    🙏🙏🙏🙏

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  4. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" रविवार 22 अक्टूबर 2023 को लिंक की जाएगी .... https://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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  5. बहुत सुंदर,,,,मां जैसी कोई नहीं,,,,

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  6. बहुत सुंदर,,,,मां जैसी कोई नहीं,,,,

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