स्वप्न मेरे: एक एहसास ...

सोमवार, 18 सितंबर 2023

एक एहसास ...

सुबह की चाय में इलायची सी तुम,
दिन भर छूती हो ज़िस्म हवा की मानिंद,
रात होते ही उतर आती हो खुमारी सी,
करती हो चहल-क़दमी ख़्वाबों के बीच …
सुकूनी चादर सा तुम्हारा अहसास,
आसमानी शाल सा तुम्हारा विस्तार,
ज़िंदगी यूँ नहीं गुज़र रही लम्हा-लम्हा,
कुछ तो अच्छा लिखा था मेरे खातों में …
जिनकी एवज़ में तुम मिलीं.

बिगड़ते मौसम के वजूद से बचाने वाली …
यूँ ही मुझसे लिपट कर उम्र भर चलते रहना.

7 टिप्‍पणियां:

  1. और मैं महकता रहूँ इलायची की तरह :) वाह

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  2. सुंदर बिबों से सजी सुंदर रचना सर।
    सादर।
    --–---
    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना मंगलवार १९ सितंबर २०२३ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  3. बिगड़ते मौसम के वजूद से बचाने वाली …
    यूँ ही मुझसे लिपट कर उम्र भर चलते रहना.
    .
    वाह वाह वाह क्या पंक्तियाँ हैं... बहुत सुंदर रचना

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  4. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 20 सितंबर 2023 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
    अथ स्वागतम शुभ स्वागतम।

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