अनसुनी कर के जो हम वक़्त
को टाले जाते.
घर से जाते न तो चुपचाप
निकाले जाते.
ये तो बस आपने पहचान लिया
था वरना,
दर्द तो दूर न ये पाँव के
छाले जाते.
शुक्र है वक़्त पे बरसात ने
रख ली इज़्ज़त,
देर तक अश्क़ न पलकों में
सम्भाले जाते.
मौंके पर डँसना जो मंज़ूर न
होता उनको,
आस्तीनों में कभी सांप न
पाले जाते.
चंद यादें जो परेशान किया
करती हैं,
बस में होता जो हमारे तो उठा
ले जाते.
आईना बन के हक़ीक़त न
दिखाते सब को,
हम भी बदनाम रिसालों में उछाले
जाते.
हमको हर सच की तरफ़ डट के
खड़ा रहना था,
हो न तलवार तो हम ढाल में
ढाले जाते.
शनिवार, 18 दिसंबर 2021
हो न तलवार तो हम ढाल में ढाले जाते ...
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वाह उत्कृष्ट सृजन।
जवाब देंहटाएंशुक्र है वक्त पे बरसात ने रख ली इज्जत.….सम्हाले जाते. 👌👌
लाजवाब!
हर बार की तरह बेमिसाल।
शुक्र है वक़्त पे बरसात ने रख ली इज़्ज़त,
जवाब देंहटाएंदेर तक अश्क़ न पलकों में सम्भाले जाते.
वाह सर् जी क्या लाज़वाब शेर कहा है।
वाह!वाह!गज़ब के शेर 👌
जवाब देंहटाएंशुक्र है वक़्त पे बरसात ने रख ली इज़्ज़त,
देर तक अश्क़ न पलकों में सम्भाले जाते.. वाह!
बहुत ही उम्दा ग़ज़ल नासवा जी ।
जवाब देंहटाएंसदैव की तरह ग़ज़लों की श्रृंखला में एक और नायाब ग़ज़ल रुपी मोती । बेहतरीन भावो से सम्पन्न गहन सृजन ।
जवाब देंहटाएंमौंके पर डँसना जो मंज़ूर न होता उनको,
जवाब देंहटाएंआस्तीनों में कभी सांप न पाले जाते.
वाह, सच कहा बिना फायदे के कुछ नहीं होता
बहुत खूब..
अनसुनी कर के जो हम वक़्त को टाले जाते.
जवाब देंहटाएंघर से जाते न तो चुपचाप निकाले जाते.
चुपचाप या धक्के मारकर!
वाह!!!
क्या बात...
शुक्र है वक़्त पे बरसात ने रख ली इज़्ज़त,
देर तक अश्क़ न पलकों में सम्भाले जाते.
कमाल की गजल...एक से बढ़कर एक शेर
वाह वाह...
बेहतरीन रचना सर।
जवाब देंहटाएंहर बंध बेहद लाज़वाब है।
सादर।
जवाब देंहटाएंहमको हर सच की तरफ़ डट के खड़ा रहना था,
हो न तलवार तो हम ढाल में ढाले जाते...जीवन से जुड़ा बहुत सुंदर शेर । पूरी गज़ल लाजवाब ।
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर रविवार 19 दिसंबर 2021 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
लाजवाब
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जवाब देंहटाएंहमको हर सच की तरफ़ डट के खड़ा रहना था,
हो न तलवार तो हम ढाल में ढाले जाते.
बहुत सुंदर।
वाह, बेहतरीन।
जवाब देंहटाएंहमको हर सच की तरफ़ डट के खड़ा रहना था,
जवाब देंहटाएंहो न तलवार तो हम ढाल में ढाले जाते.
वाह क्या बात है बहुत ही उम्दा व शानदार...
शुक्र है वक़्त पे बरसात ने रख ली इज़्ज़त,
जवाब देंहटाएंदेर तक अश्क़ न पलकों में सम्भाले जाते.
मुझे इसीलिए बारिश पसंद है ....
लाजवाब ग़ज़ल
बेहतरीन रचना आदरणीय।
जवाब देंहटाएंआपको जन्मदिन की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत लेकिन दर्द भरी ग़ज़ल !
जवाब देंहटाएंशुक्र है वक़्त पे बरसात ने रख ली इज़्ज़त,
जवाब देंहटाएंदेर तक अश्क़ न पलकों में सम्भाले जाते.......बहुत शानदार और प्रभावी !! जन्मदिन की अनेक अनेक शुभकामनाएं सर , आप हमेशा ऐसे ही लिखते रहे यही कामना है
बहुत बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट सृजन
जवाब देंहटाएंThank you for sharing the information with us, it was very informative. Valentine Day Roses Online
जवाब देंहटाएंThanks for sharing ! happy birthday flowers online
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