ये सिगरेट-चाय-तितली-गुफ्तगू सब याद आती है.
तेरी आग़ोश में गुज़री हुई शब याद आती है.
इसी ख़ातिर नहीं के तू ही मालिक है जगत भर का,
मुझे हर वक़्त वैसे भी तेरी रब याद आती है.
मेरे चेहरे पे गहरी चोट का इक दाग है ऐसा,
ये दर्पण देख लेता हूँ तेरी जब याद आती है.
न थी उम्मीद कोई ज़िन्दगी से पर ये सोचा था,
न आएगी कभी भी याद पर अब याद आती है.
सफ़र आसान यूँ होता नहीं है ज़िंदगी भर का,
मुहब्बत में रहो तो दर्द की कब याद आती है.
किसी का अक्स जो तुम ढूँढती रहती हो बादल में,
कहूँ शब्दों में सीधे से तो मतलब याद आती है.
धरा पर धूप उतर आती है ले के रूप की आभा,
किरन जब खिल-खिलाती है तेरी तब याद आती है.
क्या बात है जनाब...❤
जवाब देंहटाएंबदहवास सी हो जाती हैं, हवायें ग़म की जब
या तो तेरी सूरत, या सूरत-ए-रब याद आती है...
सफ़र आसान यूँ होता नहीं है ज़िंदगी भर का,
जवाब देंहटाएंमुहब्बत में रहो तो दर्द की कब याद आती है.
,,,,,बहुत खूब,,,