स्वप्न मेरे: क़तरा - क़तरा ...

शनिवार, 29 जून 2024

क़तरा - क़तरा ...

उठता तो ज़रूर है एक पत्थर कहीं से
आईना चटखने से पहले
फिर उस रोज़ तुमने भी तो देखा था
अंजान नज़रों से एक टक

दिल की अन-गिनत दरारों से
दर्द टपकता है बे-हिसाब क़तरा – क़तरा ...

14 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 01 जुलाई 2024 को लिंक की जाएगी ....  http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

    जवाब देंहटाएं
  2. दर्द को ज़ाहिर होने के लिए बस एक जुंबिश ही काफ़ी है, वह तो तैयार ही बैठा रहता है

    जवाब देंहटाएं
  3. अंजान नजरों से...

    दर्द टपकता है बे-हिसाब क़तरा – क़तरा ...
    वाह!!!
    लाजवाब...

    जवाब देंहटाएं
  4. शानदार ल‍िखा नासवा जी...वाह

    जवाब देंहटाएं
  5. satta matka,kalyan matka,satta batta,Kanpur Matka
    ,kanpur satta matka,super bazar matka,
    kanpur satta,madhur matka,satta bazar,matka king,dubai matka,kanpur matka result,dubai satta,
    madhur bazar,gujarat matka,manipur matka,kanpur matka tips,kalyan satta matka,dp boss matka,
    dp boss,satta matka result,prabhat satta matka,mahakal matka

    जवाब देंहटाएं

आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है