स्वप्न मेरे: मौसम ...

शनिवार, 11 मई 2024

मौसम ...

सावन
कितना अजीब है ये मौसम
बूंदों के साथ उतर जाते हैं दिन धरती पर 

हरी शाल ओढ़े ज़मीन हो उठता मन
करता है चहल कदमी यादों की बेतरतीब घास पर

समय की करवट जाने अनजाने ले आती है सैलाब
कीचड़ होता प्रेम डूब जाता है नाले में
उठती है अजीब सी जिस्मानी गंध

कितनी मिलती जुलती है ये गंध
मन के तहखाने में छुपे प्रेम की खुशबू से

कितना चालबाज है मौसम
आती बारिश के साथ खेलता है खेल प्रेम के
#जंगली_गुलाब 

12 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 13 मई 2024 को लिंक की जाएगी ....  http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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  2. क्योंकि मौसम के साथ बदलता है मन का मौसम भी

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  3. वाह . बारिश क्या आती है , घास की तरह ही अँकुराने लगते हैं तमाम सपने , ज़मीन में दबी रह गईँ भावनाएं .

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  4. हरी शाल ओढ़े ज़मीन हो उठता मन
    करता है चहल कदमी यादों की बेतरतीब घास पर
    बहुत ख़ूब ! अति सुन्दर !

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  5. हरी शाल ओढ़े ज़मीन हो उठता मन
    करता है चहल कदमी यादों की बेतरतीब घास पर
    वाह!!!!
    कितना चालबाज है मौसम
    आती बारिश के साथ खेलता है खेल प्रेम के
    अद्भुत 👌👌🙏🙏

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