दिल से अपने पूछ के देखो ज़रा ...
बात उन तक तो ये
पहुँचा दो ज़रा.
शर्ट का टूटा बटन
टांको ज़रा.
छा रही है कुछ
उदासी देर से,
बज उठो मिस कॉल
जैसे तो ज़रा.
बात गर करनी नहीं
तो मत करो,
चूड़ियों को बोल
दो, बोलो ज़रा.
खिल उठेगा यूँ ही
जंगली फूल भी,
पंखुरी पे नाम तो
छापो ज़रा.
तुमको लग जाएगी
अपनी ही नज़र,
आईने में भी कभी
झाँको ज़रा.
तितलियाँ जाती
हुई लौट आई हैं,
तुम भी सीटी पे
ज़रा, पलटो ज़रा.
उफ़, लिपस्टिक का ये कैसा दाग है,
इस मुए कौलर को
तो पौंछो ज़रा.
खेल कर, गुस्सा करो, क्या ठीक है,
हार से पहले कहो,
हारो ज़रा.
बोलती हो,
सच में क्या छोड़ोगी तुम,
दिल से अपने पूछ
के देखो ज़रा.
सादर नमस्कार,
जवाब देंहटाएंआपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार (02-07-2021) को "गठजोड़" (चर्चा अंक- 4113) पर होगी। चर्चा में आप सादर आमंत्रित हैं।
धन्यवाद सहित।
"मीना भारद्वाज"
वाह वाह , गज़ब लिखी है ।
जवाब देंहटाएंहर शेर पर जबरदस्त दाद 👌👌👌👌👌👌👌.
माशाअल्लाह ।
बहुत ही बढियां सृजन
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर हर बंद गज़ब।
जवाब देंहटाएंसादर
जवाब देंहटाएंबात गर करनी नहीं तो मत करो,
चूड़ियों को बोल दो, बोलो ज़रा.
खिल उठेगा यूँ ही जंगली फूल भी,
पंखुरी पे नाम तो छापो ज़रा. अन्तर्मन तक दस्तक देती लाजवाब गजल।
आपकी रचना बहुत ही अच्छी है दिगम्बर जी। अंतिम छंद का तो कहना ही क्या!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर सृजन
जवाब देंहटाएंवाह
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर छंद।
जवाब देंहटाएंछा रही है कुछ उदासी देर से,
जवाब देंहटाएंबज उठो मिस कॉल जैसे तो ज़रा.
बात गर करनी नहीं तो मत करो,
चूड़ियों को बोल दो, बोलो ज़रा.
वाह !! क्या बात है,लाजबाब...सादर नमन आपको
बोलती हो, सच में क्या छोड़ोगी तुम,
जवाब देंहटाएंदिल से अपने पूछ के देखो ज़रा.
.. . अंजाज बहुत खूब है ..
बहुत सुंदर अच्छी गजल ।
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंतुमको लग जाएगी अपनी ही नज़र,
आईने में भी कभी झाँको ज़रा.
तितलियाँ जाती हुई लौट आई हैं,
तुम भी सीटी पे ज़रा, पलटो ज़रा.
वाह!!!
कमाल की गजल...
लाजवाब।
बहुत बढ़िया सर। हर शेर मुकम्मल है। दिल से पूछ कर कह रहा हूं।
जवाब देंहटाएंवाह नासवा जी, "उफ़, लिपस्टिक का ये कैसा दाग है,
जवाब देंहटाएंइस मुए कौलर को तो पौंछो ज़रा." खूबसूरती से टांके हुए अल्फाज़
वाह! गजब ।
जवाब देंहटाएंबात ही बात में ग़ज़ल बना दी आपने हर भाव रोजमर्रा की बातों से निकल रहे हैं हर शेर दूसरे पर सवा सेर।
उम्दा/बेहतरीन।
बात गर करनी नहीं तो मत करो,
जवाब देंहटाएंचूड़ियों को बोल दो, बोलो ज़रा.
संवाद को इस तरह से भी व्यक्त किया जा सकता है !! बेहतरीन ग़ज़ल
बहुत कमाल।
जवाब देंहटाएंवाह! अंतर्मन की गहराइयों से लिखी और अंतर्मन की गहराईयों तक जाती रचना। एक एक पंक्ति लाजवाब👏🏼👏🏼👏🏼👏🏼
जवाब देंहटाएंबहुत खूब सुंदर ग़ज़ल।
जवाब देंहटाएंवाह।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन👌
बहुत खूबसूरत, अलग ही अंदाज, ताजगी से भरी रचना।
जवाब देंहटाएं