स्वप्न मेरे: पीपल ...

सोमवार, 16 सितंबर 2019

पीपल ...


माँ का आँचल शीतल पीपल देख रहा
मौन तपस्वी अविचल पीपल देख रहा

शरद, शिशिर हेमंत
गीष्म बैसाखी वर्षा
ऋतु परिवर्तन प्रतिपल पीपल देख रहा

कोयल की कू कू
कागा की कोलाहल
उत्पाती पक्षी दल पीपल देख रहा

शैशव की किलकारी
यौवन की आशा
वृद्ध निराशा पल पल पीपल देख रहा  

पञ्च-तत्व अग्नि तर्पण
जीवन अर्पण   
मुक्त आत्मा निश्छल पीपल देख रहा

46 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में " सोमवार 16 सितम्बर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. शैशव की किलकारी
    यौवन की आशा
    वृद्ध निराशा पल पल पीपल देख रहा
    बहुत सुंदर रचना, दिगम्बर भाई।

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  3. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में मंगलवार 17 सितम्बर 2019 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  4. उत्पाती पक्षी दल पीपल देख रहा

    वाह। पक्षी किस दल में होंगे आजकल?

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  5. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (17-09-2019) को     "मोदी का अवतार"    (चर्चा अंक- 3461) (चर्चा अंक- 3454)  पर भी होगी।--
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  6. वाह नासवा जी बेहतरीन अभिव्यक्ति पीपल में निहित मातृत्व एवं जंग हितकारी गुणों का बहुत सुंदर वर्णन।

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  7. पीपल के माध्यम से पूरा जीवन- चक्र ...अतीव सुन्दर
    सृजन ।

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  8. पीपल सदियों का गवाह है. पीपल जीवन का साक्षी है. बहुत सुंदर कविता.

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  9. वाह!!दिगंबर जी ,बहुत खूब!!शैशव से लेकर वृद्धत्व तक के काल का साक्षी है पीपल ..सम्पूर्ण जीवन काल का अद्भुत वर्णन 👌

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  10. तभी तो पीपल को " देव बृक्ष " कहते हैं ,बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति ,सादर नमन

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  11. मौन तपस्वी अविचल पीपल देख रहा ....भावपूर्ण चित्रण!

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  12. माँ के आँचल की छाँव तले अभय हो बढ़नबढ़ना और फिर माँ का पञ्च तत्व में विलीन हो जाना..
    शिशु की शैशवावस्था से वृद्धावस्था तक हर एक क्रियाकलापों का साक्ष्य मौन पीपल महान तपस्वी सा ही तो है समभाव अडिग....!!!
    हमेशा की तरह बहुत ही लाजवाब

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  13. एक दम दार्शनिक अंदाज में व्यक्त किये गए भाव ...पूरी कविता देव बृक्ष के इर्द गिर्द घुमती हुई सार्थक अर्थ संप्रेषित करती है

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  14. अनुपम भाव ... अद्भुद लेखन शैली

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  15. जिसने पीपल लगाया है उसका मां होना, उसके जीवन की हर ऋतू को साथ देना, उसकी वृद्धावस्था व सम्पूर्ण जीवन लीला का साक्षी बनना ये सब एक पीपल ने किया निश्छलता से. कमाल की रचना.
    ऐसी ही एक कविता मेरी भी है लेकिन वृक्ष उसमे बरगद है ;) कभी समय आया तो ब्लॉग पर साझा करेंगे.
    पधारें- अंदाजे-बयाँ कोई और

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    1. रोहितास जी ... जरूर कीजिये साझा अच्छा लगेगा पढ़ पढ़ ...
      आपका बहुत आभार ...

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  16. बेहद उम्दा।
    बहुत सुंदर भाव आसान शब्दो मे व्यक्त कर दिए हैं सर्।
    कविता का प्रवाह भी उत्तम कोटि का हैं मानो एक ही बार मे पूरी रचना लिख दी गयी हो,क़लम उठाना प्रतीत नही होता।

    शरद, शिशिर हेमंत
    गीष्म बैसाखी वर्षा
    ऋतु परिवर्तन प्रतिपल पीपल देख रहा

    सबसे प्यारी पंक्ति।

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  17. दिल को छूती लाज़वाब अभिव्यक्ति...

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  18. पञ्च-तत्व अग्नि तर्पण
    जीवन अर्पण
    मुक्त आत्मा निश्छल पीपल देख रहा....बहुत से नए और ताज़े शब्द आये हैं इस रचना में ! आप भले आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ हैं लेकिन हिंदी के प्रोफेसर भी होते तो हिंदी का सौभाग्य होता सर !! सुन्दर रचना

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    1. हिन्दी बहुत बड़ी है सर ... अभी तो ए बी सी डी भी नहीं जान पाए इस अथाह सागर की ...
      आपका आभार ...

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आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है