स्वप्न मेरे: पल दो पल फिर आँख कहाँ खुल पाएगी ...

सोमवार, 2 सितंबर 2019

पल दो पल फिर आँख कहाँ खुल पाएगी ...


धूल कभी जो आँधी बन के आएगी
पल दो पल फिर आँख कहाँ खुल पाएगी

अक्षत मन तो स्वप्न नए सन्जोयेगा
बीज नई आशा के मन में बोयेगा
खींच लिए जायेंगे जब अवसर साधन
सपनों की मृत्यु उस पल हो जायेगी
पल दो पल फिर ...

बादल बूँदा बाँदी कर उड़ जाएँगे
चिप चिप कपडे जिस्मों से जुड़ जाएँगे
चाट के ठेले जब सीले पड़ जाएँगे
कमसिन सड़कों पर कैसे फिर खाएगी
पल दो पल फिर ...

कितने कीट पतंगे घर में आएँगे
मखमल के कीड़े दर्शन दे जाते जाएँगे
मेंढक की टर-टर झींगुर की रुन-झुन भी   
आँगन में फिर गीत ख़ुशी के गाएगी 
पल दो पल फिर ...

50 टिप्‍पणियां:

  1. वाह ! लाळिल्य और माधुर्य भाषा के प्रति आकर्षण उत्पन्न करते हैं.
    हृदयस्पर्शी सृजन के लिये आपको बधाई.

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (03-08-2019) को "बप्पा इस बार" (चर्चा अंक- 3447) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    श्री गणेश चतुर्थी की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. वाह !! अत्यन्त सुन्दर नवगीत ।

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  4. कितने कीट पतंगे घर में आएँगे
    मखमल के कीड़े दर्शन दे जाते जाएँगे
    मेंढक की टर-टर झींगुर की रुन-झुन भी
    आँगन में फिर गीत ख़ुशी के गाएगी
    पल दो पल फिर ...मानसून​ के मौसम में मॉनसूनी शब्दों से सजा सुन्दर गीत ! इंतज़ार रहता है आपकी रचनाओं का दिगंबर सर

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  5. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 02 सितंबर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  6. सुन्दर नवगीत..सुन्दर भावों को बखूबी शब्द जिस खूबसूरती से तराशा है काबिले तारीफ है :(

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    1. शुक्रिया धीरू जी ... अच्छा लगा बहुत आपको ब्लॉग पर देख कर ...

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  8. चिप चिप कपडे जिस्मों से जुड़ जाएँगे
    चाट के ठेले जब सीले पड़ जाएँगे

    वाह क्या बात है।

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    1. शुक्रिया ... बहुत अच्छा लगा आपको देख कर ... नियमित हो जाइए आप भी ...

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  9. अक्षत मन तो स्वप्न नए सन्जोयेगा
    बीज नई आशा के मन में बोयेगा
    खींच लिए जायेंगे जब अवसर साधन
    सपनों की मृत्यु उस पल हो जायेगी
    पल दो पल फिर ...
    बहुत ही लाजवाब रचना हमेशा की तरह....
    वाह!!!!

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  10. बहुत सुंदर, दृश्य उत्पन्न करता अनुपम सृजन
    नासवा जी बेहतरीन कृति।

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  11. आपका सुन्दर नवगीत पढ़कर "मैं पल दो पल का साथी हूँ" गीत होंठों पर आ गया
    बहुत सुन्दर नवगीत
    आपको गणेशोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ!

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  12. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना 4 सितंबर 2019 के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  13. इस उमस ने भी लिखवा लिया आपसे...बहुत खूब...👍👍👍

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    1. जी ... प्राकृति है कुछ भी करवा जाती है ...
      आभार आपका ...

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  14. अक्षत मन तो स्वप्न नए सन्जोयेगा
    बीज नई आशा के मन में बोयेगा!!!!
    अत्यंत सादगी से मन के बालसुलभ चुलबुले भावों को , मधुरता से रचना में पिरोया है | बहुत प्यारी रचना के लिए हार्दिक शुभकामनायें आदरणीय दिगम्बर जी |

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    1. आपका आत्मीय आगमन प्रसन्नता से विभोर कर जाता है ...
      बहुत आभार आपका ...

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  15. कितने कीट पतंगे घर में आएँगे
    मखमल के कीड़े दर्शन दे जाते जाएँगे
    मेंढक की टर-टर झींगुर की रुन-झुन भी
    आँगन में फिर गीत ख़ुशी के गाएगी
    पल दो पल फिर ...

    वाह ! जबरदस्त, गुरुदेव

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  16. वाह काफी दर्शन छुपा हैं इस रचना में।

    बादल बूँदा बाँदी कर उड़ जाएँगे
    चिप चिप कपडे जिस्मों से जुड़ जाएँगे
    चाट के ठेले जब सीले पड़ जाएँगे
    कमसिन सड़कों पर कैसे फिर खाएगी
    पल दो पल फिर ...
    आभार

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  17. आपके एक ब्लॉग पोस्ट की वीडियो के साथ ब्लॉग चर्चा नरेंद्र मोदी से शिकायत कैसे करे ? और बेस्ट 25 में की गई है

    कृपया एक बार जरूर देखें

    Enoxo multimedia

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आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है