स्वप्न मेरे: दास्ताँ ...

मंगलवार, 18 मार्च 2014

दास्ताँ ...

प्रेम राधा ने किया, कृष्ण ने भी ... मीरा ने भी, हीर और लैला ने भी ... पात्र बदलते रहे समय के साथ प्रेम नहीं ... वो तो रह गया अंतरिक्ष में ... इस ब्रह्मांड में किसी न किसी रूप में ... भाग्यवान होते हैं वो पात्र जिनका चयन करता है प्रेम, पुनः अवतरित होने के लिए ... तुम भी तो एक ऐसी ही रचना थीं सृष्टि की ...


वो सर्दियों की शाम थी
सफ़ेद बादलों के पीछे छुपा सूरज
बेताब था कुछ सुनने को

गहरी लंबी खामोशी के बाद
मेरा हाथ अपने हाथों में थामे तुमने कहा

आई लव यु

उसके बाद भी मुंदी पलकों के बीच
बहुत देर तक हिलते रहे तुम्हारे होंठ
पर खत्म हो गए थे सब संवाद उस पल के बाद
थम गयीं थी सरगोशियाँ कायनात की

मत पूछना मुझसे
उस धुंधली सी शाम कि दास्ताँ

कुछ मंज़र आसान नहीं होते उतारना
थोड़ी पड़ जाती हैं सोलह कलाएँ
गुम जाते हैं सारे शब्द कायनात के



29 टिप्‍पणियां:

  1. वाह.....
    बेहद खूबसूरत नज़्म.....
    कुछ मंज़र आसान नहीं होते उतारना
    थोड़ी पड़ जाती हैं सोलह कलाएँ
    गुम जाते हैं सारे शब्द कायनात के...
    बहुत बढ़िया!!!

    सादर
    अनु

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  2. प्रेम में पगी प्रशंसनीय प्रस्तुति - "कुछ मंज़र आसान नहीं होते".

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  3. बढ़िया सुंदर कृति , दिगंबर भाई होली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ , धन्यवाद
    नया प्रकाशन -: होली गीत - { रंगों का महत्व }

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  5. प्रेम शब्द से निशब्द की ओर ले जाता है...

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  6. bahut sundar shabdon me abhivyakt kiya hai aapne prem ko .very nice .

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  7. शब्द और एहसास ...अलिखित और अवर्णनीय रहते हैं ........गहन ,बहुत सुंदर रचना ....!!

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  8. प्रेम को अभिव्यक्त करने की सर्वोत्तम भाषा मौन है. प्रेम में शब्द खो जाते हैं और मौन उतर आता है. बेहद खूबसूरत ख्यालात से सजी नज़्म...होली की विलंबित शुभकामनाएँ ...

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  9. बहुत सुंदर...अक्सर शब्द बेमानी हो जाते हैं ...
    मोंन सब कह जाता है...

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  10. कुछ मंज़र आसान नहीं होते उतारना-VERY RIGHT .

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  11. निशब्द करने में सक्षम आपकी अभिव्यक्ति
    होली की असीम शुभकामनायें

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  12. कुछ मंज़र आसान नहीं होते उतारना-
    यही तो .. उम्दा ख्याल.

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  13. दुनिया के सबसे सुन्दर सम्वाद...
    चुप तुम रहो
    चुप हम रहें
    खामुशी को, ख़ामुशी से
    बात करने दो!!

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  14. प्रेम में शब्दों की आवश्यकता है ही नहीं।

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  15. प्रेम में शब्दों की आवश्यकता है ही नहीं।

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  16. बहुत ही सुन्दर मन को छू लेनेवाली रचना...
    :-)

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  17. बहुत खूबसूरत से बयाँ की गई अभिव्यक्ति
    सुन्दर शब्द

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  18. क्या कहना है...क्या सुनना है...

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  19. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बुधवार (19-03-2014) को समाचार आरोग्य, करे यह चर्चा रविकर : चर्चा मंच 1556 पर भी है!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  20. कल 20/03/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद !

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आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है