प्रेम राधा ने किया, कृष्ण ने भी ... मीरा ने भी, हीर और लैला ने भी ... पात्र बदलते रहे समय के साथ प्रेम नहीं ... वो तो रह गया अंतरिक्ष में ... इस ब्रह्मांड में किसी न किसी रूप में ... भाग्यवान होते हैं वो पात्र जिनका चयन करता है प्रेम, पुनः अवतरित होने के लिए ... तुम भी तो एक ऐसी ही रचना थीं सृष्टि की ...
वो सर्दियों की शाम थी
सफ़ेद बादलों के पीछे छुपा सूरज
बेताब था कुछ सुनने को
गहरी लंबी खामोशी के बाद
मेरा हाथ अपने हाथों में थामे तुमने कहा
आई लव यु
उसके बाद भी मुंदी पलकों के बीच
बहुत देर तक हिलते रहे तुम्हारे होंठ
पर खत्म हो गए थे सब संवाद उस पल के बाद
थम गयीं थी सरगोशियाँ कायनात की
मत पूछना मुझसे
उस धुंधली सी शाम कि दास्ताँ
कुछ मंज़र आसान नहीं होते उतारना
थोड़ी पड़ जाती हैं सोलह कलाएँ
गुम जाते हैं सारे शब्द कायनात के
वो सर्दियों की शाम थी
सफ़ेद बादलों के पीछे छुपा सूरज
बेताब था कुछ सुनने को
गहरी लंबी खामोशी के बाद
मेरा हाथ अपने हाथों में थामे तुमने कहा
आई लव यु
उसके बाद भी मुंदी पलकों के बीच
बहुत देर तक हिलते रहे तुम्हारे होंठ
पर खत्म हो गए थे सब संवाद उस पल के बाद
थम गयीं थी सरगोशियाँ कायनात की
मत पूछना मुझसे
उस धुंधली सी शाम कि दास्ताँ
कुछ मंज़र आसान नहीं होते उतारना
थोड़ी पड़ जाती हैं सोलह कलाएँ
गुम जाते हैं सारे शब्द कायनात के
वाह.....
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत नज़्म.....
कुछ मंज़र आसान नहीं होते उतारना
थोड़ी पड़ जाती हैं सोलह कलाएँ
गुम जाते हैं सारे शब्द कायनात के...
बहुत बढ़िया!!!
सादर
अनु
प्रेम में पगी प्रशंसनीय प्रस्तुति - "कुछ मंज़र आसान नहीं होते".
जवाब देंहटाएंबढ़िया सुंदर कृति , दिगंबर भाई होली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ , धन्यवाद
जवाब देंहटाएंनया प्रकाशन -: होली गीत - { रंगों का महत्व }
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंप्रेम शब्द से निशब्द की ओर ले जाता है...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर नज्म.
जवाब देंहटाएंप्रशंसनीय .....
जवाब देंहटाएंbahut sundar shabdon me abhivyakt kiya hai aapne prem ko .very nice .
जवाब देंहटाएंशब्द और एहसास ...अलिखित और अवर्णनीय रहते हैं ........गहन ,बहुत सुंदर रचना ....!!
जवाब देंहटाएंप्रेम को अभिव्यक्त करने की सर्वोत्तम भाषा मौन है. प्रेम में शब्द खो जाते हैं और मौन उतर आता है. बेहद खूबसूरत ख्यालात से सजी नज़्म...होली की विलंबित शुभकामनाएँ ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर...अक्सर शब्द बेमानी हो जाते हैं ...
जवाब देंहटाएंमोंन सब कह जाता है...
बहुत खूबसूरत ख्याल...
जवाब देंहटाएंकुछ मंज़र आसान नहीं होते उतारना-VERY RIGHT .
जवाब देंहटाएंनिशब्द करने में सक्षम आपकी अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंहोली की असीम शुभकामनायें
कुछ मंज़र आसान नहीं होते उतारना-
जवाब देंहटाएंयही तो .. उम्दा ख्याल.
http://bulletinofblog.blogspot.in/2014/03/blog-post_18.html
जवाब देंहटाएंदुनिया के सबसे सुन्दर सम्वाद...
जवाब देंहटाएंचुप तुम रहो
चुप हम रहें
खामुशी को, ख़ामुशी से
बात करने दो!!
प्रेम में शब्दों की आवश्यकता है ही नहीं।
जवाब देंहटाएंप्रेम में शब्दों की आवश्यकता है ही नहीं।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर मन को छू लेनेवाली रचना...
जवाब देंहटाएं:-)
बहुत खूबसूरत से बयाँ की गई अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंसुन्दर शब्द
क्या कहना है...क्या सुनना है...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बुधवार (19-03-2014) को समाचार आरोग्य, करे यह चर्चा रविकर : चर्चा मंच 1556 पर भी है!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
शब्द अपर्याप्त हो जाते हैं!
जवाब देंहटाएंकल 20/03/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !
वाह ! बहुत सुन्दर दास्तां !
जवाब देंहटाएंवाह।
जवाब देंहटाएंयही तो प्रेम-पल है..
जवाब देंहटाएं